बीजापुर/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। प्रदेश के बीजापुर में नक्सलियों ने बस्तर फाइटर्स के जवान शंकर कुड़ियम को अपने चंगुल से रिहा कर दिया है। अबूझमाड़ के जंगल में नक्सलियों ने जन अदालत लगाई थी। इस जन अदालत में उसे पुलिस का साथी होने के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी। बाद में सभी पक्ष सुनने के बाद नक्सलियों ने जवान को परिजन और आदिवासी समाज के सुपुर्द किया। 29 सितंबर को नक्सलियों की माड़ डिविजनल कमेटी के PLGA (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) ने भैरमगढ़ ब्लॉक के उसपरी गांव से बीजापुर पुलिस लाइन में पदस्थ शंकर कुड़ियम को अगवा किया था।

जन अदालत में सुनाई थी मौत की सजा :
नक्सलियों ने बस्तर फाइटर्स के जवान शंकर कुडि़यम को रिहा करने से पहले जन अदालत लगाई थी। 8 दिन तक नक्सलियों के कब्जे में रहे शंकर का कहना है कि नक्सलियों को शक था कि वो पुलिस को उनकी गुप्त सूचनाएं देता है। जन अदालत में शंकर की ओर से कुछ सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार और समाज के लोग भी मौजूद थे।

नक्सलियों की ओर से आरोप लगाया गया कि आए दिन सुरक्षा बल के जवान गांववालों पर क्रूरता करते हैं, शंकर भी इन्हीं जवानों में से एक है इसलिए इसे मौत की सजा होनी चाहिए। शंकर की ओर से बताया गया कि वो बीजापुर के एरमनार गांव का आदिवासी है और कुछ साल पहले ही पुलिस में भर्ती हुआ है। उसका पक्ष सुनने के बाद नक्सलियों ने रिहाई का फैसला किया।

8वें दिन जवान को परिजन के सुपुर्द किया :
अपहरण के 7वें दिन नक्सलियों की माड़ डिविजनल कमेटी ने प्रेस नोट जारी कर अपहरण की जिम्मेदारी ली थी। सात दिन तक उन्होंने जवान को बंधक बनाकर अपने साथ रखा। अपहरण के आठवें दिन शुक्रवार की शाम को नक्सलियों ने जवान को आदिवासी समाज के सामने सशर्त रिहा कर दिया। इसके बाद परिजन उसे लेकर अपने घर पहुंचे।

नक्सलियों ने जारी किया था प्रेस नोट और फोटो :
माओवादियों की माड़ डिवीजन कमेटी ने शंकर के अपहरण की जिम्मेदारी ली थी। कमेटी की सचिव अनिता ने प्रेस नोट के साथ जवान की तस्वीर भी जारी की। सचिव अनिता ने प्रेस नोट में जवान को अगवा करने की बात स्वीकार करते हुए कहा था कि पुलिस की प्रतिक्रिया के आधार पर हमारा अगला फैसला होगा।

पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ का लगाया था आरोप :
प्रेस नोट में नक्सलियों ने पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ का भी आरोप लगाया था। प्रेस नोट में कहा था कि, पुलिस ने ताड़मेटला में 2 निर्दोष आदिवासियों का एनकाउंटर किया है। इन्हें नक्सली बताकर फर्जी मुठभेड़ में मारा है। इस मामले को लेकर पुलिस पर कार्रवाई होनी चाहिए।

परिजन ने की थी रिहाई की अपील :
जवान के परिजन ने आदिवासी समाज को शंकर कुड़ियम के अगवा होने की जानकारी दी थी। जिसके बाद 4 अक्टूबर को आदिवासी समाज के लोगों और परिजन ने नक्सलियों से जवान को रिहा करने की मार्मिक अपील भी की थी।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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