मुंबई/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की सरकार का गठन सही है या नही, ये मामला सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक बेंच को भेजा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट इस पर सोमवार तक कोई निर्णय लेगा। शिवसेना का असली वारिस कौन है इस पर चुनाव आयोग फिलहाल कोई फैसला नही लेगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को इस बाबत कोई निर्देश नहीं दिया है लेकिन मौखिक तौर पर कहा है की जब तक ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है तब तक चुनाव आयोग कोई फैसला न ले। चुनाव आयोग में एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट ने शिवसेना पार्टी पर दावेदारी की है। चुनाव आयोग में इस पर आठ अगस्त को सुनवाई होनी है। यानी आज के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग की प्रक्रिया रुक सकती है। दोनो ही गुट शिवसेना पर अपनी दावेदारी कर रहे है। महाराष्ट्र में उत्पन हुई स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट को फैसला देना है। सर्वोच्च न्यायालय ये तय करेगा की एकनाथ शिंदे सरकार का गठन संवैधानिक तौर पर सही है या नहीं। इस मामले में दलबदल कानून, विधायकों की स्वायत्त और पार्टी की नीतियों से विधायकों के अलग होने, और विधायकों के खरीद फरोख्त को नए सिरे से देखा जा सकता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अगले हफ्ते सुनवाई होगी।

हरीश साल्वे ने दिए तर्क :
एकनाथ शिंदे गुट के वकील हरीश साल्वे ने तर्क देते हुए कहा कि कानून के तहत उठे सवाल दाखिल कर दिए गए हैं। साल्वे ने कहा कि विधायकों की अयोग्यता पर स्पीकर फैसला लेने में देरी करते हैं तो ऐसा सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं, अन्य मामलों में भी देखा गया है। 2 से 3 महीने तक स्पीकर अयोग्यता पर फैसला लटकाए रखते हैं। हरीश साल्वे ने कहा कि ऐसी कार्यवाही के दौरान क्या अयोग्य विधायक काम करना बंद कर दें? एकनाथ शिंदे के वकील साल्वे उन क़ानूनी सवालों को बता रहे थे जिस पर उनके मुताबिक सुनवाई होनी चाहिए। जो सवाल उन्होंने कोर्ट को सबमिट किया था, उन पर कोर्ट ने कहा था, वो सवाल स्पष्ट नहीं हैं। कोर्ट ने साल्वे से उन सवालों को दोबारा सबमिट करने को कहा था। आज साल्वे ने उन सवालों को दाखिल किया है। एकनाथ शिंदे गुट की ओर से साल्वे ने कहा कि अगर कोई भ्रष्ट आचरण से कोई सदन में चुना जाता है और जब तक वो अयोग्य घोषित नहीं होता तब तक उसके द्वारा की गई कार्रवाई कानूनी होती है। हरीश साल्वे ने कहा कि विधायकों की अयोग्यता पर स्पीकर फैसला लेने में 2-3 महीने की देरी करते हैं इस स्थिति में क्या होना चाहिए? क्या उन्हें सदन की कार्रवाही में भाग लेना चाहिए? इस दौरान जो कानून पास होता है, उसका क्या होगा? हरीश साल्वे ने कहा कि ऐसे दौर में पारित हुआ कानून मान्य नहीं होगा। साल्वे ने कहा कि कोर्ट में याचिका दाखिल करने और अयोग्यता के खिलाफ करवाई दो महीने बाद होती है और उस दौरान कोई सदस्य सदन में वोट दे देता है तो ऐसा नही है की दो महीने बाद वो अयोग्य होता है तो उसका वोट मान्य नही होगा। ऐसे में केवल उसका अयोग्य माना जाएगा न की उसके द्वारा किये गए वोट को।

उद्धव ठाकरे पक्ष की दलीलें :
उद्धव गुट कि ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि शिंदे गुट मामले को आने वीले बीएमसी चुनाव के चलते टालना चाहता है। ताकि वह शिवसेना के सिंबल का उपयोग कर सके। मेरी गुजारिश है कि अदालत निर्णय ले। सिब्बल ने कहा कि मेरा सवाल है क्या 40-45 सदस्य किसी सदन में यह कह सकते हैं कि वो राजनीतिक दल हैं। यह मामला चुनाव आयोग के बस का नहीं है। अदालत को इस पर निर्णय लेना चाहिए। कपिल सिब्बल ने कहा कि शिवसेना किसकी, यह मामला सीजेआई तय करें बड़ी पीठ के पास नहीं भेजें। इस पर सीजेआई ने कहा कि मैं देखता हूं।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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