रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। छत्तीसगढ़ में अब मानसून आने में करीब हफ्ते भर का समय बाकी रह गया है, लेकिन राज्य की सोसायटियों में अब तक 70 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान जाम हो गया है। राज्य के मिलरों का कहना है कि सोसायटियों में रखा बहुत सा धान खराब हो चुका है, इसे उठाने में घाटा हो सकता है।

दूसरी ओर मिलरों से उनका तैयार किया चावल एफसीआई और नागरिक आपूर्ति निगम नहीं ले रहा है। इन दोनों कारणों से मिलर धान उठा नहीं रहे हैं। ऐसे में अब मानसून के आने पर बचा हुआ धान भी खराब होने की आशंका गहरा गई है।

खरीफ सीजन 2023- 24 में राज्य सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर जो धान खरीदा था उसका अधिकांश हिस्सा सोसाटियों से उठाया जा चुका है। लेकिन सरकारी रिकार्ड बता रहा है कि राज्य के कई जिलों के उपार्जन केंद्रों (सोसायटियों) में अब तक 70 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान जमा है। खाद्य विभाग द्वारा बनाई गई उपार्जन नीति में कहा गया है कि सोसाटियों में धान खरीदे जाने के 72 घंटे बाद ही धान का परिवहन (उठाव) किया जाना है। लेकिन खरीदी के बाद महीनों बीत चुके हैं। सरकार ने 2023-24 के लिए 1 नंवबर 2023 से 4 फरवरी 2024 तक धान की खरीदी की थी।

इन जिलों में है धान का स्टॉक :

छत्तीसगढ़ के जिन जिलों के खरीद केंद्रों में धान जमा है उनमें बस्तर, बीजापुर, कांकेर, कोंडागांव, सुकमा, बिलासपुर, मुंगेली, रायगढ़, सक्ती, सारंगढ- बिलाईगढ़, बालोद, बेमेतरा, कवर्धा, राजनांदगांव, खैरागढ़- छुईखदान, मोहला-मानपुर अंबागढ़ चौकी, बलौदाबाजार, धमतरी, गरियाबंद, महासमुंद, बलरामपुर, जशपुर, कोरिया, सरगुजा, जिले शामिल है। बाकी के सभी जिलों से धान का परिवहन हो चुका है। इस जिलों की सोसायटियों का पूरा धान राज्य के मिलरों ने कस्टम मिलिंग के लिए उठाया है।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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