अंबिकापुर। कुणाल सिंह ठाकुर। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में मध्याह्न भोजन के नाम पर बच्चों को चावल में हल्दी मिलाकर परोसा जा रहा है। इसमें कुछ दाल डालकर खिचड़ी बताकर विशेष संरक्षित जनजाति पंडो बच्चों को दी जा रही है।
एक सप्ताह से बच्चों की थाली से दाल और सब्जी गायब है।मध्याह्न भोजन के नाम पर बच्चों के खाद्यान्न में कटौती का यह मामला वाड्रफनगर विकासखण्ड के दूरस्थ ग्राम बीजाकुरा के प्राथमिक पाठशाला पटेलपारा का है। यहां के मध्यान्ह भोजन का वीडियो इंटरनेट मीडिया में भी प्रसारित हो रहा है।पंडो बच्चों की बहुलता वाले इस स्कूल में मध्याह्न भोजन में खिचड़ी के नाम पर हल्दी मिश्रित चावल दिया जा रहा है। चावल में दाल के कुछ दाने मिलाकर दिया जा रहा है। हल्दी पाउडर मिलाने के पीछे उद्देश्य है यह खिचड़ी जैसा लगे। दरअसल यह गांव जिला मुख्यालय बलरामपुर से लगभग 100 किलोमीटर दूर मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित है। यहां प्रशासन की पहुंच नहीं के बराबर है। कभी भी अधिकारी जांच के लिए नहीं पहुंचते। मध्याह्न भोजन की जबाबदारी महिला स्व सहायता समूहों की है। बलरामपुर जिले के अधिकांश स्कूलों में मध्याह्न भोजन में मेन्यू का पालन नहीं किया जा रहा है।
अविभाजित मध्य प्रदेश के जमाने में बीजाकुरा गांव उस समय चर्चा में आया था जब एक पंडो की मौत हुई थी। उस दौरान भूख से मौत का आरोप लगा था। घटना पर राजनीति भी हुई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव खुद वाड्रफनगर ब्लाक आए थे। पंडो की मौत के देश में खाद्य सुरक्षा के अधिकार की आवाज उठनी शुरू हुई थी।लगभग तीन दशक बाद वही बीजाकुरा गांव पंडो बच्चों को हल्दी लगी चावल परोसे जाने से चर्चा में है।मध्याह्न भोजन के लिए मेन्यू निर्धारित है। इसका पालन नहीं होने की जानकारी मिली है। बीजाकुरा गांव के मध्याह्न भोजन वितरण की जांच कराएंगे। गड़बड़ी मिली तो सख्त कार्रवाई करेंगे।डीएन मिश्र, जिला शिक्षा अधिकारी बलरामपुर।