नई दिल्ली/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। प्रत्येक वर्ष की भांति आज भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान विष्णु के अवतार भगवान वराह की जयंती मनाई जा रही है। धार्मिक मान्यता के अनुसार आज के दिन ही भगवान विष्णु ने वराह अवतार लेकर हिरण्याक्ष नाम के उस दैत्य का वध किया था, जिसने पृथ्वी को ले जाकर समुद्र के भीतर छिपा दिया था। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान वराह का प्राकट्य ब्रह्मा जी के नाक से हुआ था। वराह भगवान को श्री हरि विष्णु का दूसरा अवतार माना जाता है। भगवान विष्णु के जिस वराह स्वरूप को उद्धारक देवता के रूप में जाना जाता है, आइए आज उनकी जयंती पर पूजा विधि और उसके धार्मिक महत्व को विस्तार से जानते हैं।

कैसे करें भगवान वराह की पूजा :
आज भगवान वराह जयंती के पावन पर्व पर साधक को प्रात:काल स्नान करने के बाद सबसे पहले वराह भगवान की मूर्ति या प्रतिमा का गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद विधि-विधान से उन्हें पुष्प, फल, आदि अर्पित करते हुए पूजा करने के बाद उनके अवतार की कथा कहें। इसके बाद भगवान वराह के मंत्र ”नमो भगवते वाराहरूपाय भूभुर्व: स्व: स्यात्पते भूपतित्वं देह्येतद्दापय स्वाहा” का जप मूंगे अथवा लाल चंदन की माला से जपें। मान्यता है कि भगवान वराह की पूजा के इस उपाय को करने पर साधक को भूमि-भवन आदि का सुख प्राप्त होता है। वराह जयंती के दिन श्रीमद्भगवद् गीता का पाठ करने से भी अनंत पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

कैसे हुआ भगवान वराह अवतार :
पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार जब हिरण्याक्ष नाम के दैत्य ने पृथ्वी को समुद्र के भीतर ले जाकर छिपा दिया था। जब पृथ्वी जलम्न हो गई तो उसे वहां से निकालने और हिरण्याक्ष दैत्य के पापों से लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए ब्रह्मा जी के नाक से भगवान विष्णु का वराह अवतार हुआ। मान्यता है कि ब्रह्मा जी की नाक से एक अंगूठे के आकार वाले वराह अवतार ने पलक झपकते ही पर्वताकार रूप धारण कर लिया, जिसे देखकर सभी देवी-देवताओं और ऋषि-मुनियों ने उनकी स्तुति की। इसके बाद भगवान वराह ने अपने थूंंथने की सहायता से पृथ्वी को जल से बाहर निकालने लगे, तब हिरण्याक्ष दैत्य ने भगवान वराह काे युद्ध के लिए ललकारा। इसके बाद भगवान वराह और हिरण्याक्ष के बीच हुए भयंकर युद्ध में हिरण्याक्ष मारा गया और भगवान वराह ने अपने खुरों से जल को स्तंभित कर उस पर पृथ्वी को स्थापित कर दिया।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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