रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। सात साल के बच्चे की मौत और कई लोगों के जख्मी होने के बाद प्रशासन चीनी मांझा बेचने वालों पर कार्रवाई कर रहा है। हालांकि, अभी भी कई जगहों पर अवैध रूप से इनकी बिक्री की जा रही है। सोमवार को शुरू हुई प्रशासन की कार्रवाई मंगलवार को भी जारी रही। शहर में बिक रहे प्रतिबंधित चीनी मांझे से हुई मौत की वजह सीधे तौर पर प्रशासनिक लापरवाही है। इसे हत्या कहें या फिर दुर्घटना इस पर अब भी संशय है। सात साल के बच्चे की मौत और कई लोगों के जख्मी होने के बाद प्रशासन चीनी मांझा बेचने वालों पर कार्रवाई कर रहा है।

मगर, अभी भी कई जगहों पर अवैध रूप से इनकी बिक्री की जा रही है। सोमवार को शुरू हुई प्रशासन की कार्रवाई मंगलवार को भी जारी रही। अधिकारियों ने बूढ़ापारा की सिटी पतंग दुकान और मोती पतंग भंडार को सील कर दिया है। वहीं, उमदा फटाका भंडार सहित एक अन्य दुकानों पर जुर्माना लगाया गया है।

इसी बीच मीडिया की पड़ताल में सामने आया कि कुछ दुकानदारों ने चीनी मांझा बेचने की जगह सूती मांझा बेचना शुरू कर दिया है। टीम ने मंगलवार को शहर के पतंग दुकानों की पड़ताल की, तो देखने में सामने आया कि दुकानदार प्रतिबंधित चीनी मांझा बेचने से सीधा इनकार कर रहे हैं।

दुकानदारों को लगा रहे फटकार:
नगर निगम की टीम शहर की पतंग दुकानों में पहुंचकर चीनी मांझा नहीं बेचने की हिदायत दे रही है। साथ ही गलती से भी मांझा बेचते पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी जा रही है। रविवार को शहर में चीनी मांझा की वजह से हुई घटनाओं के बाद जिम्मेदारों ने मामले को संज्ञान लिया है। अगर यही संज्ञान पहले ले लिया गया होता तो शायद मासूम पुष्कर साहू की जान नहीं जाती। वहीं, महिला वकील पूर्णशा कौशीर का गला और हाथ कटने से बच जाता।

मासूम पुष्कर के साथ हुई घटना के बाद दुकानदारों को भी ऐहसास हुआ है कि चीनी मांझा कितना खतरनाक है। हाई कोर्ट द्वारा स्वत: संज्ञान लिए जाने के बाद प्रशासन भी हरकत में आया है। संतोषी नगर के पतंग दुकानदार ने कहा कि हम भीख मांगकर खा लेंगे, लेकिन चीनी मांझा नहीं बेचेंगे। पुष्कर के साथ हुई घटना किसी और के साथ न हो। शहर में चीनी मांझा नहीं बिकना चाहिए। इसकी जगह कई तरह के मांझे बाजार में उपलब्ध हैं, जिसका उपयोग किया जा सकता है।

गोलबाजार की पतंग दुकान संगम काइट मंगलवार को लगभग दिनभर बंद रही। आसपास के लोगों ने बताया कि शहभर में इसी दुकान से पतंग का व्यापार होता है। मगर, रविवार को हुए हादसे के बाद से दुकान बंद है। दुकान में बड़ी संख्या में चीनी मांझा मौजूद होने की आशंका लोगों ने जताई। 40 से 50 रुपये में 200 से 250 मीटर मिलने वाले चीनी मांझा की खोजबीन शहर के बच्चे कर रहे हैं। मंगलवार को पड़ताल के दौरान नईदुनिया की टीम को बूढ़ापारा की पतंग दुकान में कुछ बच्चे मिले। अपनी चकरी लिए हुए ये बच्चे चीनी मांझा की खोजबीन कर रहे थे। बच्चों ने कहा हम लोग गोलबाजार से आ रहे हैं। कुछ दुकानदारों द्वारा बच्चों को चीनी मांझा की जगह सूती सहित अन्य मांझों का विकल्प दिया जा रहा था।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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