वाराणसी/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कथित शिवलिंग होने के मामले की सुनवाई करने पर वाराणसी की जिला कोर्ट ने सोमवार को मुहर लगा दी है। वाराणसी के जिला जज एके विश्वेश की अदालत ने ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि उनकी कोर्ट इस मामने की सुनवाई जारी रखेगी। कोर्ट के इस बड़े फैसले के बाद कई नेताओं के बयान आए। लेकिन इनमें कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने चुप्पी साध रखी है। विपक्ष की ओर से कोई बड़ा बयान सामने नहीं आया है। दरअसल, मुस्लिम पक्ष की ओर से कोर्ट में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में इस बात को चुनौती दी गई थी कि यह मामला सुनवाई करने योग्य है या नहीं। इस पर कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि यह मामला उपासना स्थल अधिनियम और वक्फ अधिनियम के लिहाज से वर्जित नहीं है, लिहाजा वह इस मामले की सुनवाई जारी रखेगी। मामले की अगली सुनवाई अब 22 सितंबर को होगी।
वीडियोग्राफी के समय कांग्रेस ने दिया था बयान :
वहीं जब मई में वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी कोर्ट परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे कराने का आदेश दिया गया था, तो उस समय कांग्रेस ने यह बात कही थी कि किसी भी धार्मिक स्थान के स्टेटस में बदलाव करने की कोई भी कोशिश नहीं की जानी चाहिए। लेकिन जब सोमवार को वाराणसी कोर्ट ने इस मामले को सुनवाई के योग्य माना तो कांग्रेस की ओर से कोई भी आधिकारिक बयान सामने नहीं आया। कांग्रेस के अलावा किसी भी विपक्षी दल ने इस मामले में कोई बयान नहीं दिया है।
मई में कांग्रेस ने द प्लेसेज ऑफ वर्शिप (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 को लेकर कहा था कि हमें लगता है कि अन्य सभी धार्मिक जगहें जैसी हैं, उन्हें वैसी ही रहने दिया जाना चाहिए। पी चिदंबरम ने उस समय उदयपुर में चिंतन शिविर के दौरान कहा था कि नरसिम्हा राव की सरकार के दौरान काफी विचार के बाद ये अधिनियम पारित हुआ था। इसमें सिर्फ राम जन्मभूमि का मामला शामिल नहीं है। ऐसे में हमारा मानना है कि पूजा करने के सभी अन्य स्थानों को वैसा ही रखा जाए, जैसे वो थे। हमें किसी भी ऐसे स्थान का स्टेटस बदलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।