मुंबई/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। मुंबई में देश का पहला अंडर वाटर सी टनल बनने जा रहा है। यानी समुद्र के नीचे सुरंग बनाई जाएगी और उसके अंदर से बुलेट ट्रेन चलाई जाएंगी। एक आइडिया के लिए अगर आपने दिल्ली में कहीं-कहीं या कोलकाता में अंडरग्राउंड मेट्रो में सफर किया है तो करीब वैसे ही यह टनल जमीन के नीचे ना होकर समुद्र के नीचे होगा। इसके लिए नेशनल हाई स्पीड रेलवे कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) ने टेंडर मंगवाया है। मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स और ठाणे के शीलफाटा के पास अंडरग्राउंड स्टेशन के बीच यह अंडरवाटर सी टनल बनाया जाएगा। NHSRCL ने जिस टनल के लिए टेंडर मंगवाया है, उसकी लंबाई 7 किलोमीटर होगी। मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेलवे कॉरिडोर के लिए 21 किलोमीटर का टनल तैयार किया जाना है। इनमें से ये सात किलोमीटर की दूरी अंडरवाटर सी टनल से तय की जाएगी।

सरकार बदलते ही, बुलेट ट्रेन के काम को मिली बुलेट की गति :
प्राप्त जानकारियों के मुताबिक राज्य में सरकार बदलने के बाद मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर काम तेज रफ्तार से शुरू हो गया है। क्योंकि यह केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। अब राज्य में भी बीजेपी और शिंदे गुट की सरकार है। इस वजह से केंद्र और राज्य में समन्वय से यह केंद्र का प्रोजेक्ट तेज गति से आगे बढ़ रहा है। जल्दी-जल्दी टेंडर निकाले जा रहे हैं। बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स और शीलफाटा के बीच ये अंडर वाटर सी टनल के लिए सर्वे और अन्य प्रारंभिक काम पूरे कर दिए गए हैं और टेंडर निकाला जा चुका है।

समुद्र के नीचे बनेगी सुरंग, सुरंग में दौड़ेगी बुलेट ट्रेन सन-सनासन :
समुद्र के नीचे सात किलोमीटर लंबी सुरंग बनेगी, इस तरह का यह देश की पहली अंडर वाटर सी टनल होगा। टेंडर में दी गई जानकारियों के मुताबिक टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) और न्यू ऑस्ट्रियन टनेलिंग मेथड (एनटीएम) का इस्तेमाल करते हुए यह टनल बनाया जाएगा। इस तरह बनने वाला यह देश का पहला अंडर वाटर सी टनल मुंबई में बनने जा रहा है।

जान कर आप रह जाएंगे दंग, यहां बनेगी 114 मीटर तक नीचे सुरंग :
एनएचआरसीएल के मुताबिक यह सी टनल 13.1 मीटर व्यास और सिंगल ट्यूब ट्विन ट्रैक होगा। इसमें 37 जगहों पर 39 इन्स्ट्रूमेंट रुम तैयार किए जाएंगे। कुल 21 किलोमीटर का अंडरग्राउंड टनल तैयार किया जा रहा है, जिनमें 7 किलोमीटर अंडर वाटर सी टनल होगा। इनमें करीब 16 किलोमीटर लंबी सुरंग तैयार करने के लिए तीन टनल बोरिंग मशीन (TBM) इस्तेमाल में लाई जाएगी और बाकी 5 किलोमीटर के लिए न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (NATM) इस्तेमाल में लाया जाएगा। यह सुरंग जमीन के नीचे करीब 25 से 65 मीटर अंदर होगी। शीलफाटा के पास पारसिक टेकडी के नीचे यह सुरंग 114 मीटर नीचे तैयार की जाएगी।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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