बालोद/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। वेब और यूट्यूब न्यूज़ पोर्टल “द मीडिया पॉइंट – मिरर ऑफ द सोसाइटी” (themediapoint.in) की बालोद जिले के कलेक्टर आईएएस डॉ. गौरव कुमार सिंह से खास बात-चीत हुई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी के मंशानुरूप बालोद जिले को लगातार प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ाने, जिले में शांति का माहौल बनाने, जिले के लोगों के लिए स्वरोजगार का साधन उपलब्ध करने, बुजुर्गों की सेवा और बच्चों को आदर्श मार्ग पर लाने से लेकर कला के प्रति सभी वर्ग के लोगों का ध्यान आकर्षित करने के साथ ही जिले में आगे की कार्ययोजनाओं को लेकर कुछ छुटपुट सवाल-जवाब और चर्चा हुई।
जिले की जनता से मिल रहे सकारात्मक सुझाव पर कलेक्टर डॉ. सिंह ने कहा :

बालोद कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह के कार्यों को देखकर जिले की जनता में अलग ही हर्ष देखने को मिल रहा है। इसपर डॉ. सिंह कहते हैं – “हमारा काम है कार्य को आगे बढ़ाना। जनता के लिए जो अच्छा हो जाए वह सोचते हुए आगे की कार्ययोजना तैयार करते हुए कार्य को सही दिशा प्रदान कर रहें हैं।” कलेक्टर डॉ. सिंह ने कहा : माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के विचारों को सही समय पर जिले की जनता के लिए तैयार करना प्रमुख उद्देश्य है। माननीय मुख्यमंत्री जी जनता की हर समस्याओं का निराकरण चाहते हैं।”
लाइब्रेरी को नया स्वरूप मिलने पर बच्चों के साथ बुजुर्गों को भी जोड़ेंगे :

बालोद जिले में आगे की कार्ययोजना पर चर्चा करते हुए कलेक्टर आईएएस डॉ. गौरव कुमार सिंह ने कहा कि : लाइब्रेरी को नए स्वरुप में लाया गया है, अब इस लाइब्रेरी में कोशिश यह रहेगी की बच्चों के साथ बुजुर्गों को भी जोड़ा जाए। जिससे कि बुजुर्गों को बैठने के लिए एक जगह मिल जाए, अखबार और किताबें भी उनको वहीं मिल जाए, इससे वहां बच्चे भी अनुशासित रहेंगे और उन्हें बुजुर्गों का सानिध्य भी मिल जाएगा। इसके साथ ही ई-लाइब्रेरी को भी ठीक करने की कोशिश में लगे हुए हैं।
वृद्धाश्रम को खुले एरिया में पार्क से जोड़ने की एक कोशिश जारी है :

माननीय मुख्यमंत्री के मंशानुरूप बालोद जिले के वृद्धजनों के लिए भी कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह की सोच आने वाले समय में जिले की खुशहाली की तरफ इशारा कर रही है। वृद्धजनों की सेवा और उनके लिए विश्राम के लिए उपयुक्त कोशिशें जारी हैं। कलेक्टर डॉ. सिंह ने कहा : वृद्धाश्रम कंजस्टेट जगह पर है, उसे बदलकर कलेक्ट्रेट के पास में सिंचाई विभाग के पुराने घरों में जोड़कर वहां से लगे पार्क को भी सम्मिलित करके खुला स्पेस देने की भी एक हमारी कोशिश है।
अब कृष्ण-कुंज में लगेगी चौपाटी :

बालोद कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह ने बताया कि कृष्ण-कुंज से लगे चौपाटी का काम भी लगभग पूर्ण होने की कगार में हैं। कृष्ण-कुंज से लगे चौपाटी में लोग फेमस स्ट्रीट फूड्स का स्वाद ले पाएंगे, इसके लिए चौपाटी में कुछ बैम्बू और कुछ मॉडर्न शॉप्स बनाया जा रहा है। इससे शहर के लोगों को एक हेल्दी एनवायरमेंट मिलेगा। इससे रोड पर जाम भी कम लगेगा और इसी बहाने कृष्ण-कुंज में भी रेगुलर रनिंग रहेगी।
महिलाओं के रोजगार के लिए है विभिन्न स्त्रोत :

महिलाओं के रोजगार के सवालों का जवाब देते हुए डॉ. गौरव कुमार सिंह ने कहा : अभी महिलाओं के लिए बालोद बाजार चल रहा है, यहां महिलाएं महिलाओं का प्रोडक्ट्स सेल करती हैं, इसके अलावा सी-मार्ट में हमारे 2100 से ज्यादा प्रोडक्ट्स अवेलेबल हैं और अभी माननीय मुख्यमंत्री श्री बघेल जितनी भी योजनाएं ला रहें हैं उनमे महिलाएं और मजबूत होंगी।
अधिकारी रहे या ना रहे कार्य रुकना नहीं चाहिए :

बालोद कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह ने बातचीत के दौरान कहा कि : किसी भी योजना को पूर्ण आकार देकर ही लागू किया जाना चाहिए। ऐसा कभी नहीं होना चाहिए कि योजना में सम्मिलित अधिकारी के नहीं रहने (वहां से जाने) से वह योजना लोगो के लिए बंद हो गई। जो भी प्लान किया जाए, उसे आगे तक संचालित करने का सिस्टम बनाना चाहिए। इससे आने वाले समय में अधिकारी कोई भी रहे, लोगों की रोजी चलते रहेगी।
लड़कियों के लिए प्लेसमेंट कैंप्स में विशेष छूट :

कलेक्टर डॉ. सिंह ने बताया की माननीय मुख्यमंत्री जी के मंशानुरूप जिले के युवाओं के लिए जीजीविषा (प्लेसमेंट) कैंप का आयोजन किया गया था। इस तरीके का आयोजन आगे भी होगा और इनमे चयनित बच्चों की उन कंपनियों में कुछ महीनों की ट्रेनिंग दी जाती है। इसमें जितनी लड़कियां चयनित होंगी, उन्हें डीएमएफ मद से ट्रेनिंग शुल्क का 70 प्रतिशत खर्च दिया जाएगा। जिससे उन्हें अपने सपनों को साकार करने में सहूलियत मिले। अभी जिले में 1138 बच्चों का चयन हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि इनमे से 50 प्रतिशत बच्चे भी फाइनल में जाते है तो वह हमारी जीत होगी।
बच्चों के स्वरोजगार के लिए दुकानों की चेन बनाने की है कोशिश :

बच्चों के स्वरोजगार के मुद्दे पर बात करते हुए कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह ने कहा कि : जो बच्चे पढ़ते हुए काम भी करना चाहते हैं, जिनसे वे अपनी पढ़ाई की फीस वगैरह दे पाए, तो उनके लिए भी मॉडल तैयार करने की कोशिश हमारी है। बच्चों के स्वरोजगार के लिए दुकानों की चेन बनाने की कोशिश है और उन्हें जरुरत-अनुसार लोन दिला कर के एक टाइप के प्रोडक्ट्स की शॉप अलग-अलग गाँवों में खोली जाए, इसमें महिला समूहों के प्रोडक्ट्स भी आ जाएंगे। चीज़ों को सही तरीके से अमल में लाने में थोड़ा वक्त लगता है, लेकिन कोशिश सभी वर्गों के लिए जारी है।