नई दिल्ली/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। देश के पहले प्राइवेट रॉकेट ‘विक्रम-एस’ की आज लॉन्चिंग हो गई। इस रॉकेट का निर्माण हैदराबाद की एक स्टार्ट-अप कंपनी ‘स्काईरूट एयरोस्पेस’ ने किया है। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी ‘इसरो’ ने श्रीहरिकोटा के अपने केंद्र से भारत के इस पहले प्राइवेट रॉकेट ‘विक्रम-एस’ की लॉन्चिंग की। इसकी लॉन्चिंग के बाद भारत के स्पेस मिशन में प्राइवेट रॉकेट कंपनियों की एंट्री हो गई है। विक्रम-एस रॉकेट ने देश की स्पेस इंडस्ट्री में प्राइवेट सेक्टर की एंट्री को एक नई दिशा प्रदान की है, जिस पर दशकों से सरकारी स्वामित्व वाले ISRO का प्रभुत्व था।

‘स्काईरूट एयरोस्पेस’ भारत की पहली प्राइवेट सेक्टर की कंपनी बन गई है, जिसने 2020 में केंद्र सरकार द्वारा स्पेस इंडस्ट्री को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोले जाने के बाद भारतीय स्पेस प्रोग्राम में कदम रखा है। ‘विक्रम-एस’ रॉकेट को आज सुबह करीब 11:30 पर लॉन्च किया गया। इससे पहले इसे 15 नवंबर को लॉन्च करने की प्लानिंग थी। सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च होने के बाद अब ‘विक्रम-एस’ 81 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचेगा। रॉकेट का नाम इंडियन स्पेस प्रोग्राम के जनक और दिवंगत साइंटिस्ट विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है।

6 मीटर लंबा है रॉकेट :
‘प्रारंभ’ नामक इस मिशन के जरिए दो घरेलू और एक विदेशी ग्राहक के तीन पेलोड को भेजा गया है। विक्रम-एस उप-कक्षीय उड़ान में चेन्नई के स्टार्ट-अप स्पेस किड्ज, आंध्र प्रदेश के स्टार्ट-अप एन-स्पेस टेक और आर्मेनियाई स्टार्ट-अप बाजूमक्यू स्पेस रिसर्च लैब के तीन पेलोड ले जाए गए हैं। स्काईरूट के एक अधिकारी ने इससे पहले बताया था कि 6 मीटर लंबा रॉकेट दुनिया के पहले कुछ ऐसे रॉकेट में शामिल है जिसमें घुमाव की स्थिरता के लिए 3-डी प्रिंटेड ठोस प्रक्षेपक हैं। भारतीय अंतरिक्ष नियामक इन-स्पेस ने बुधवार को स्काईरूट के विक्रम-एस उप-कक्षीय यान के लॉन्च को ऑथोराइज किया था।

भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) के अध्यक्ष पवन गोयनका ने कहा था, ‘यह भारत में निजी क्षेत्र के लिए बड़ी छलांग है। स्काईरूट को रॉकेट के लॉन्च के लिए ऑथोराइज की जाने वाली पहली भारतीय कंपनी बनने पर बधाई।’ केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि भारत इसरो के दिशानिर्देशों के तहत श्रीहरिकोटा से ‘स्काईरूट एयरोस्पेस’ द्वारा विकसित पहले निजी रॉकेट का प्रक्षेपण करके इतिहास रचने जा रहा है।

प्राइवेट सेक्टर के लिए बड़ी उपलब्धि :
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र के सुधारों ने स्टार्ट-अप के लिए इनोवेटिव संभावनाएं खोली हैं और बहुत कम वक्त में करीब 102 स्टार्ट-अप अंतरिक्ष मलबा प्रबंधन, नैनो-सेटेलाइट, प्रक्षेपण यान और अनुसंधान आदि क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। स्काईरूट एयरोस्पेस ने मंत्री के बयान के जवाब में सोशल मीडिया पर कहा था, ‘हमें अपने मिशन पर गर्व है जो भारतीय निजी क्षेत्र के लिए इतिहास बनाने जा रहा है और हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को साकार करेगा।’ इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने इस महीने की शुरुआत में बेंगलुरु में ‘प्रारंभ’ का अनावरण किया था।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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