नई दिल्ली/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख और बलात्कार-हत्या के आरोप में सजा काट रहे गुरमीत राम रहीम सिंह को पैरोल मिल गई है। वह रोहतक के सुनारिया जेल में सजा काट रहा है। राम रहीम को 40 दिन की पैरोल मिली है। दो शिष्यों से बलात्कार के आरोप में उसे 20 साल कैद की सजाई सुनाई गई है। पिछले साल अक्टूबर में राज्यव्यापी पंचायत चुनाव और हरियाणा में आदमपुर विधानसभा के उपचुनाव से कुछ ही हफ्ते पहले ही वह पैरोल पर रिहा हुआ था। 2022 में उसको तीन बार 40 दिन की पैरोल मिली थी। दोषी ठहराए जाने के बाद से राम रहीम 2017 से सुनारिया जेल में बंद है। राम रहीम को पैरोल मिलने पर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने ट्वीट में लिखा, ‘बलात्कारी हत्यारे राम रहीम को एक बार फिर 40 दिन की पैरोल दे दी गई है। बेशर्मी की सारी हदें पार हो चुकी हैं। देशवासी अपनी बेटियों को बचाएं, बलात्कारी आज़ाद घूमेंगे।’
पिछले साल बीमार मां से मिलने की उसकी याचिका समेत विभिन्न कारणों से तीसरी बार जेल से रिहा किया गया था। तब वह राजस्थान के डेरा में रहा था। हरियाणा सरकार ने पिछले साल 20 फरवरी को पंजाब में विधानसभा चुनाव के लिए परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए राम रहीम को 21 दिनों के लिए छुट्टी दे दी थी। राम रहीम को जून 2022 में 30 दिन की पैरोल मिली थी। तब वह बागपत में अपने डेरा सच्चा सौदा आश्रम में रुका था। राज्य के जेल मंत्री रंजीत चौटाला ने पैरोल देने के सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए मीडिया से कहा था कि राम रहीम को जेल नियमावली के अनुसार पैरोल दी गई है। यह एक दोषी का कानूनी अधिकार है, जो तीन साल की सजा पूरी करने के बाद पैरोल या फरलो लेने के योग्य हो जाता है। बता दें कि 25 अगस्त, 2017 को उसकी सजा के कारण पंचकुला और सिरसा में हिंसा हुई थी, जिसमें 41 लोग मारे गए थे और 260 से अधिक घायल हो गए थे।
साल 2019 में राम रहीम को पत्नी हरजीत कौर की इस याचिका पर पैरोल दी गई थी कि दिल की बीमारी से पीड़ित उनकी 85 वर्षीय मां नसीब कौर गंभीर रूप से बीमार हैं। जून 2019 में, राम रहीम ने अपनी पैरोल याचिका वापस ले ली थी, जब राज्य की भाजपा सरकार को विपक्षी दलों ने राम रहीम का पक्ष लेने के लिए घेर लिया था। साथ ही, हाई कोर्ट ने उनकी दत्तक बेटी के विवाह समारोह में शामिल होने के लिए उनकी पैरोल याचिका को खारिज कर दिया था। अगस्त 2017 में दो महिलाओं से रेप के आरोप में राम रहीम को 20 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। जनवरी 2019 में पंचकूला की एक विशेष सीबीआई अदालत ने भी राम रहीम और तीन अन्य को 16 साल पहले पत्रकार राम चंदर छत्रपति की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।