अयोध्या/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहे भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर में रामलला की प्रतिमा स्थापित करने के लिए नेपाल से छह करोड़ साल पुरानी दो शालिग्राम शिलाएं पहुंच गई हैं। भगवान की प्रतिमा के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि लौहे के औजारों के माध्यम से शालिग्राम पर भगवान श्रीराम की प्रतिमा नहीं तराशी जा सकती है। लोहे का इस्तेमाल नहीं होने के कारण मूर्तिकार छेनी-हथौड़ी जैसे पारंपरिक औजारों के जरिए भगवान की प्रतिमा को मूर्त रूप नहीं दे पाएंगे। यही कारण है कि इन शिलाओं से भगवान की प्रतिमा गढ़ने के लिए हीरे काटने वाले औजार का इस्तेमाल किया जाएगा।

अयोध्या के सबसे प्राचीन पीठ तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगद्गुरु परमहंस आचार्य श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को पत्र लिख चुके हैं। उन्होंने इन पवित्र शिलाओं पर लोहे की छेनी-हथौड़ी का इस्तेमाल नहीं करने का अनुरोध कर चुके हैं।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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