नई दिल्ली/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। भारत और रूस के बीच रिश्ते हमेशा से ही मबजूत रहे हैं। भारत रूस से हथियार के साथ-साथ तेल भी आयात कर रहा है। भारत ने रूस से आयात किए गए तेल के लिए पैसे को भुगतान भी शुरू कर दिया है। भारत की ओर से पैसों का भुगतान तीन तरीके से किया जा रहा है। इसमें पहली रूस की ही रूबल करेंसी, दूसरा चीनी युआन मुद्रा और तीसरा है यूएई का दिरहम है। जिसके जरिए भुगतान किया जा रहा है।
इंडियन एक्स्प्रेस ने रॉयटर्स की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया है कि दुबई में बैठे व्यापारियों के जरिए खरीदे गए रूस तेल के लिए भारतीय रिफाइनरों ने अमेरिकी डॉलर के बजाय संयुक्त अरब अमीरात की करेंसी दिरहम में भुगतान करना शुरू कर दिया है। भारत ने रूस से करीब 28000 करोड़ रुपए का हथियार खरीदा है। इसका भी भुगतान रूबल या फिर दिरहम में किया जाएगा।
पिछले साल मिले थे दोनों देशों के अधिकारी :
रूस से खरीदे गए हथियार और तेल की कीमत का भुगतान डॉलर के बजाय अन्य करेंसी के जरिए करने का फैसला पिछले साल लिया गया। जब दोनों देशों के डिफेंस और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने एक बैठक कर भुगतान पर चर्चा की थी मामले का आरबीआई के सामने भी उठाने की बात कही गई थी। रूस को किए जा रहे भुगतान में डॉलर को पूरी तरह से दूर रखा गया है।
यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस पर लगे हैं प्रतिबंध :
दरअसल, यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ने की वजह से अमेरिका ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं। इनमें बैकिंग से जुड़े प्रतिबंध भी हैं। अमेरिका के अलावा ब्रिटेन और कई यूरोपीय देशों ने भी रूस के खिलाफ सख्त रुख अख्तियार किया है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो रूस को डॉलर के बदले किसी दूसरी करेंसी में भुगतान करने पीछे डॉलर की ताकत को कम करना है। क्योंकि अभी तक जितने भी भुगतान होते हैं वो अमेरिका डॉलर में ही होते आए हैं।