नई दिल्ली/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। वैवाहिक संबंधों में बेवफाई के शक को साबित करने के लिए नाबालिग बच्चों की डीएनए टेस्टिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बात कही है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि इस तरह का शॉर्टकट अपनाना सही नहीं है। इससे निजता के अधिकार का हनन होता है और बच्चों पर मानसिक रूप से बुरा असर पड़ सकता है। कोर्ट ने कहा कि यह ट्रेंड बढ़ता जा रहा है कि पति-पत्नी में बेवफाई का शक होने के बाद वे बच्चों की डीएनए टेस्टिंग की बात करने लगते हैं।

जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम और बीवी नागारत्ना ने कहा, बच्चों को भी इस बात का अधिकार है कि खुद को जायज ठहराने के लिए वे अपनी निजता से समझौता ना करें। यह निजता के अधिकार का प्रमुख अंग है। इसलिए कोर्ट को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे कोई वस्तु नहीं हैं जिनका डीएनए टेस्ट करा लिया जाए। खासकर तब जब कि वे किसी तलाक के केस में पार्टी भी नहीं हैं। बेंच एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसने 2021 के बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने बच्चे का डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दे दिया था। इसी तरह का आदेश अगस्त 2021 में पुणे कोर्ट ने भी दिया था। साल 2017 से ही इस दंपत्ति की तलाक याचिका लंबित है।

हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए जज ने आदेश में कहा, डीएनए टेस्टिंग के सवाल पर हमें बच्चे की तरफ से सोचने की जरूरता है ना कि उसके मां-बाप की तरफ से। बच्चे यह साबित करने का जरिया नहीं हो सकते कि उनके मां-बाप नाजायज संबंध रखते थे। यह पति का काम है कि वह दूसरे प्रमाणों से बेवफाई की बात साबित करे। इसके लिए बच्चे के अधिकारों का बलिदान दे देना ठीक नहीं है। कोर्ट ने पाया कि इस तरह के मामले अकसर फैमिली कोर्ट के पास आते हैं कि पत्नी की बेवफाई साबित करने के लिए पति डीएनए टेस्टिंग की मांग करते हैं। इसके बाद साबित होने पर हिंदू मैरिज ऐक्ट के तहत तलाक की अर्जी स्वीकार कर ली जाती है। जस्टिस नागारत्ना ने कहा, किसी बच्चे की डीएनए टेस्टिंग करनाे पर अगर उसे इस बात का पता चलता है कि उसका पिता कोई ऐसा शख्स है जिसे वह जानता तक नहीं है तो इससे उसकी मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ता है। मासूम बच्चों को इस तरह का तनाव नहीं दिया जा सकता।

दंपत्ति की शादी 2005 में हुई थी और तीन साल बात पहले बच्चे का जन्म हुआ था। पति ने दूसरे बच्चे का डीएनएस टेस्ट करने की बात की थी। उसे शक था कि पत्नी का किसी और शख्स से संबंध है। पति ने प्राइवेट स्तर से डीएनए टेस्ट करवाया भी था और इसमें पता चला था कि वह बच्चे का बॉयोलॉजिकल फादर नहीं है।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !! You are not allowed to copy this page, Try anywhere else.