चंडीगढ़/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। माता-पिता की ओर से पढ़ाई में कमजोर बच्चे को फटकारना क्रूरता नहीं है। यह कहना चंडीगढ़ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट का है। इस मामले में 14 साल के बेटे ने अपने पिता पर मारपीट के आरोप लगाए थे। कोर्ट ने सबूत के अभाव में आरोपी को बरी कर दिया है। किशनगढ़ के रहने वाले युवक के खिलाफ अगस्त 2019 में आईटी पार्क पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। 14 साल का बच्चा पिटाई के चलते से घर से भाग गया था। यहां तक की उसने स्कूल भी जाना छोड़ दिया था। परिवार के अनुसार, बच्चा 13 अगस्त 2018 को स्कूल से घर वापल नहीं लौटा, जिसके बाद छानबीन शुरू की गई। इस बाबत टीचर से भी पूछताछ की गई, उसने बताया कि वह स्कूल में ही नहीं आया। परिजनों को डर सताने लगा कि उनका बच्चा किडनैप हो गया है। इसके बाद पिता ने पुलिस से संपर्क किया और भारतीय दंड संहिता की धारा 363 (अपहरण) के तहत एक मामला दर्ज किया गया। लगभग एक साल बाद वह 18 जून, 2019 को घर लौट आया।

पिता ने उठाया 9वीं की पढ़ाई का खर्च :
किशोर के लौटने के बाद उसका बयान कोर्ट में दर्ज किया गया। इस दौरान उसने कहा कि वह खुद घर छोड़कर गया था। उसके पिता उसे पीटते थे और उसकी देखभाल नहीं करते थे। 9 अगस्त 2019 को बच्चे को उसकी मां को सौंपा गया और कानूनी राय लेने के बाद पुलिस ने उसके पिता के खिलाफ मामला दर्ज किया और गिरफ्तार कर लिया। ट्रायल के दौरान, अभियोजन पक्ष ने बच्चे सहित सात गवाहों के बयान दर्ज किए। कोर्ट ने गवाहों को सुनने के बाद कहा कि बच्चे ने स्वीकार किया कि वह क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान पढ़ाई में कमजोर था। कक्षा 8 तक उसकी पढ़ाई का खर्च सरकार की ओर से किया गया था और उसके पिता ने कक्षा 9 की फीस दी थी। उसने स्कूल जाना छोड़ दिया था और भागने से पहले 15 दिनों तक स्कूल नहीं गया था। यहां तक कि उसकी बड़ी बहन की स्कूल की फीस भी उसके पिता की जेब से ही जा रही थी।

कोई पिता ऐसा व्यवहार बर्दाश्त नहीं करेगा – कोर्ट :
पिता को बरी करते हुए अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट टीपीएस रंधावा की कोर्ट ने कहा, ‘चूंकि नाबालिग बच्चा पढ़ाई में कमजोर था और कई दिनों तक स्कूल जाना छोड़ दिया था, कोई भी पिता इस तरह के व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करता है और ऐसी स्थिति में कुछ फटकार स्वाभाविक होती है, लेकिन माता-पिता की इस तरह के फटकार और नसीहत को किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 के तहत क्रूरता नहीं कहा जा सकता है। कोई भी विवेकपूर्ण और देखभाल करने वाला पिता अपने बच्चे को भटकते हुए देखना चाहेगा। वास्तव में, पिता का कर्तव्य है कि वह अपने बच्चे को सही रास्ता दिखाए।’

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !! You are not allowed to copy this page, Try anywhere else.