मुंबई/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। बॉलीवुड के सबसे जिंदादिल और खुशमिजाज इंसान सतीश कौशिक अब हमारे बीच नहीं रहे। 66 साल की उम्र में एक्टर ने आखिरी सांस ली। दिल्ली एनसीआर में उन्हें हार्ट अटैक आया जिसके बाद एक्टर को अस्पताल एडमिट कराया गया। लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी। उनके निधन की खबर दोस्त अनुपम खेर ने भारी मन से सोशल मीडिया पर शेयर की जिसके बाद से फैंस के बीच हताशा है। एक्टर ने अपने करियर में काफी काम किया और कई अलग-अलग विधाओं में हाथ आजमाया। लेकिन उन्हें आज भी जिस कैरेक्टर के लिए याद रखा जाता है वो है मिस्टर इंडिया में प्ले किया उनका रोल कैलेंडर। इस रोल ने उन्हें खूब पॉपुलैरिटी दिलाई और उनके करियर में संजीवनी साबित हुआ। लेकिन आखिर कैसे मिला था सतीश कौशिक को ये रोल? किस्सा है दिलचस्प।

दरअसल, जब मिस्टर इंडिया फिल्म बन रही थी तो उस फिल्म में सतीश कौशिक एसोसिएट डायरेक्टर थे और उनके पास कुछ पावर भी थी। वे इस फिल्म के किए ऑडिशन भी ले रहे थे और पूरी तरह से इन्वॉल्व थे। लेकिन सतीश कौशिक के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था। उन्हें बस किसी तरह इस फिल्म में अभिनय करना था। वे कोई भी रोल करने के लिए तैयार थे और बार-बार जावेद साहेब से भी इस बारे में बात कर रहे थे। जब उन्हें पता चला कि फिल्म में एक नौकर का रोल भी है तो उनसे रहा नहीं गया। वे ये रोल करना चाहते थे। ऐसे में इस रोल को करने के लिए कोई भी ऑडिशन देने आता तो वे उसे किसी ना किसी बहाने से सेलेक्ट ना करते। अंत में जाकर आखिर उन्होंने इस रोल को करने की इच्छा जाहिर की और उन्हें ये रोल मिल भी गया।

अपने टैलेंट से बनाया रोल को खास :
शेखर कपूर फिल्म बना रहे थे और लीड रोल में थे अनिल कपूर और श्रीदेवी। अनु कपूर का भी फिल्म में अच्छा रोल था। कास्ट बहुत बड़ी थी। आशोक कुमार, अमरीश पुरी समेत कई सारे कलाकार थे। ऐसे में सतीश के लिए कोई बड़ा स्कोप था नहीं। लेकिन इस नौकर के छोटे से रोल को उन्होंने अपनी प्रतिभा और इनोवेशन से खास बना दिया। अब जहां तक बात रही कि इसमें उनके किरदार का नाम कैलेंडर कैसे पड़ा तो ये किस्सा भी दिलचस्प है।

कैसा पड़ा नाम कैलेंडर?
दरअसल, जब वे छोटे थे तो उनके पिता से मिलने एक शख्स आता था। उसका तकियाकलाम था कैलेंडर। वो हर बात के साथ इस शब्द का इस्तेमाल करता था। बस यहीं पर सतीश कौशिक के दिमाग की बत्ती जली और उन्होंने अपने कैरेक्टर का नाम ही कैलेंडर रख दिया। एक्टर इसमें गाते हुए भी नजर आते हैं- ‘मेरा नाम है कैलेंडर, मैं चला किचन के अंदर।’ सतीश की इस फिल्म में काम करने की जिद रंग लाई और ऐसे उनका ये कैरेक्टर बन गया उनके करियर का सबसे खास रोल।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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