मुंबई/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। महाराष्ट्र में जारी सियायी उथल-पुथल के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे बुधवार की रात मुख्यमंत्री आवास वर्षा छोड़कर अपने पारिवारिक आवास मातोश्री चले गए। पार्टी कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ के बीच उद्धव अपने बेटे आदित्य और परिजनों के साथ मातोश्री पहुंचे, जहां उनका फूलों की वर्षा से स्वागत किया गया। शिवसैनिक उनके समर्थन में नारेबाजी कर रहे थे। ऐसे में वे मातोश्री के बाहर उतर गए और कार्यकर्ताओं का अभिवादन किया। इधर, पार्टी विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे गुवाहाटी में डेरा जमाए हुए हैं। धीरे-धीरे उनका पलड़ा भारी होता जा रहा है, जिससे स्थिति के और ज्यादा खराब होने की संभावना बनी हुई है।
समझिए महाराष्ट्र में अब तक क्या हुआ :
सूत्रों की मानें तो महाराष्ट्र के पांच से छह और एमएलए गुवाहाटी स्थित उस होटल पहुंच सकते हैं, जहां बागी एकनाथ शिंदे अन्य विधायकों के साथ मौजूद हैं। अगर ऐसा हुआ तो कुल 44 विधायक शिंदे के पाले में हो जाएंगे। खबर ये भी है कि शिंदे राज्यपाल से ऑनलाइन बातचीत कर सकते हैं। गौरतलब है कि अब तक उनके पाले में 33 शिवसेना विधायक हैं। लेकिन उन्हें 37 शिवसेना विधायक की जरूरत है।
शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बीच शीर्ष पद छोड़ने की पेशकश के कुछ घंटों बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे बुधवार रात दक्षिण मुंबई के अपने आधिकारिक आवास से उपनगरीय बांद्रा स्थित पारिवारिक आवास ‘मातोश्री’ चले गए। बंगला छोड़ने से पहले सरकार पर आई संकट पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को कहा कि अगर बागी विधायक यह घोषणा करते हैं कि वह उन्हें (ठाकरे) मुख्यमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहते तो वह अपना पद छोड़ने के लिए तैयार हैं।

बता दें कि बुधवार को ठाकरे के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। उन्होंने 18 मिनट लंबे वेबकास्ट में विद्रोही नेताओं व आम शिवसैनिकों से भावुक अपील की। उन्होंने अनुभवहीन होने की बात स्वीकार करते हुए कहा कि पिछले साल के अंत में रीढ़ की सर्जरी के कारण वह लोगों से ज्यादा नहीं मिल सके। उन्होंने कहा कि अगर शिवसैनिकों को लगता है कि वह (ठाकरे) पार्टी का नेतृत्व करने में सक्षम नहीं हैं तो वह शिवसेना के अध्यक्ष का पद भी छोड़ने के लिए तैयार हैं।
ठाकरे ने कहा, “सूरत और अन्य जगहों से बयान क्यों दे रहे हैं? मेरे सामने आकर मुझसे कह दें कि मैं मुख्यमंत्री और शिवसेना अध्यक्ष के पदों को संभालने में सक्षम नहीं हूं। मैं तत्काल इस्तीफा दे दूंगा। मैं अपना इस्तीफा तैयार रखूंगा और आप आकर उसे राजभवन ले जा सकते हैं।’ इधर, सियासी उथल-पुथल के बीच शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के साथ सूरत गए पार्टी विधायक नितिन देशमुख लौट आए। उन्होंने बुधवार को दावा किया कि कुछ लोगों ने उन्हें जबरदस्ती वहां के एक अस्पताल में भर्ती कराया था और उन्हें इंजेक्शन लगाया गया जबकि उन्हें दिल का दौरा नहीं पड़ा था।
उस्मानाबाद का प्रतिनिधित्व करने वाले पार्टी के एक अन्य विधायक कैलास पाटिल ने कहा कि वह विधायकों को सूरत ले जाने वाली एक कार से भाग गए, कई किलोमीटर पैद चले, दोपहिया और ट्रक पर सवार हुए और अंतत: उन्हें मुख्यमंत्री के सरकारी आवास ‘वर्षा’ लाने के लिए मंगलवार तड़के एक वाहन भेजा गया।
महाराष्ट्र से आए शिवसेना के बागी विधायकों के एक समूह को गुवाहाटी के जिस लग्जरी होटल में रखा गया है, उसके बाहर सुरक्षा कर्मी तैनात हैं। इससे रेडिसन ब्लू होटल एक किले में तब्दील हो गया है। इस होटल में आम लोगों के प्रवेश करने पर तकरीबन अब रोक लगा दी गई है। गुवाहाटी पुलिस ने होटल के निजी सुरक्षा प्रहरियों से सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली है।
शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महा विकास आघाड़ी (एमवीए) एक ‘अप्राकृतिक गठबंधन’ है और उनकी पार्टी के लिए आवश्यक है कि वह अपने और पार्टी कार्यकर्ताओं के हित में राकांपा और कांग्रेस के साथ इस गठबंधन से बाहर निकल आए।
गुवाहाटी में डेरा डाले हुए शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे ने दावा किया है कि उन्हें अपनी पार्टी के 33 विधायकों का समर्थन प्राप्त है और उन्होंने बुधवार शाम को एक प्रस्ताव पारित कर खुद को शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में बहाल कर दिया। इससे एक दिन पहले शिवसेना नेतृत्व ने उन्हें विधायक दल के नेता पद से हटा दिया था।
शिंदे के नेतृत्व वाले विद्रोही खेमे द्वारा पारित प्रस्ताव में शिवसेना विधायक भरत गोगावाले को पार्टी का नया मुख्य सचेतक नामित किया गया है और मौजूदा सुनील प्रभु को पद से हटा दिया गया है। दोपहर के समय शिंदे द्वारा जारी किए गए पत्र पर शिवसेना के 33 विधायकों के हस्ताक्षर हैं। इससे पहले दिन में, प्रभु ने एक पत्र जारी कर शिंदे के साथ आए बागियों समेत शिवसेना के सभी विधायकों को शाम पांच बजे मुंबई में विधायक दल की बैठक में शामिल होने या दलबदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई का सामना करने को कहा था।
शिंदे खेमे द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि 2019 के महाराष्ट्र चुनाव के बाद बीजेपी से नाता तोड़ने के शिवसेना नेतृत्व के फैसले का पार्टी कार्यकर्ताओं और मतदाताओं पर ‘नकारात्मक’ प्रभाव पड़ा। महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के 55 विधायक हैं।
महाराष्ट्र से आये शिवसेना के बागी विधायकों के समूह को गुवाहाटी के जिस लग्जरी होटल में रखा गया है, उसके बाहर सुरक्षा कर्मी तैनात हैं। इससे रेडिसन ब्लू होटल एक किले में तब्दील हो गया है। इस होटल में आम लोगों के प्रवेश करने पर तकरीबन अब रोक लगा दी गई है। गुवाहाटी पुलिस ने होटल के निजी सुरक्षा प्रहरियों से सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली है। नजदीक के जलुकबाड़ी पुलिस थाना के कर्मियों के अलावा, असम पुलिस की रिजर्व बटालियन और कमांडो इकाइयों के दर्जनों जवान होटल की कड़ी निगरानी कर रहे हैं। यह होटल लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा से करीब 15 किमी दूर स्थित है।

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महाविकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार का नेतृत्व कर रही शिवसेना के बागी विधायक मंगलवार को सूरत के लिए रवाना हुए थे, जहां वे दिन भर रुके। इसके बाद एक चार्टर्ड विमान से गुवाहाटी के लिए रवाना हुए थे। शिवसेना के बागी विधायकों का यह कदम एमवीए सरकार गिराने की एक कोशिश प्रतीत होती है। मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में यहां पहुंचे विधायकों की अगवानी बुधवार को हवाईअड्डे पर भारतीय जनता पार्टी के सांसद पल्लब लोचन दास और विधायक सुशांत बोरगोहैन ने की। हालांकि, समझा जाता है कि अपनी पार्टी के पांच विधायकों के साथ आये एक विधायक नितिन देशमुख असम पहुंचने के कुछ घंटों के अंदर महाराष्ट्र लौट गए। भाजपा के एक सूत्र ने बताया कि सुरक्षा कारणों को लेकर विधायकों को गुवाहाटी भेजने का निर्णय लिया गया।
शहर के बाहरी इलाके गोटानगर में स्थित पांच सितारा होटल के बाहर यातायात पुलिस कर्मियों को वहां की सड़कों पर वाहनों की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करते देखा गया। सुरक्षाकर्मी प्रत्येक अतिथि को रेडिसन होटल में प्रवेश करने की अनुमति देने से पहले उनकी जांच कर रहे हैं और जिन्होंने पहले से बुकिंग नहीं कराई है उन्हें लौट जाने को कहा जा रहा। मीडिया कर्मी भी होटल के बाहर इंतजार कर रहे हैं। वहीं, पुलिस उनके सवालों का कोई जवाब नहीं दे रही है और होटल के अंदर के घटनाक्रम की जानकारी नहीं ले ने दे रही है। होटल के अधिकारियों ने भी संपर्क किए जाने पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। शायद ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी पश्चिमी राज्य के बागी विधायकों के पार्टी नेतृत्व से बगावत कर देने पर पूर्वोत्तर के एक राज्य में लाया गया।

 
                    