उज्जैन/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। धार्मिक नगरी उज्जैन में हर तीज त्योहार की शुरुआत बाबा महाकाल के आंगन से होती है। सर्वप्रथम भक्तजन बाबा महाकाल के साथ धूमधाम से त्योहार मनाते हैं, उसके पश्चात सह त्योहार नगर ही नहीं बल्कि पूरे देशभर में मनाया जाता है। इन दिनों कालों के काल ‘बाबा महाकाल’ के दरबार में रक्षाबंधन त्योहार की तैयारियां जोर-शोर से जारी है। जहां एक और रक्षाबंधन पर बाबा महाकाल को अर्पित किए जाने वाले सवा लाख लड्डुओं के बनने का काम शुरू हो चुका है, तो वहीं दूसरी ओर बाबा महाकाल के हाथों में बंधने वाली राखी भी तैयार की जा रही है, जिसे पंडे और पुरोहित परिवार की महिलाएं श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर भस्मआरती के पहले ब्रह्म मुहूर्त में राजाधिराज महाकाल को राखी बांधकर विश्व की रक्षा की कामना करेंगी। जो पुजारी सावन के दिनों में बाबा की भस्म आरती करते हैं, उन्हीं के परिवार की महिलाएं व बहनें राखी बांधने बाबा के कक्ष में जाती हैं। यह महिलाएं बाबा का मंगल गान कर उन्हें राखी बांधती है। बाबा को भाई मानकर, जो महिलाएं पूरे सावन व्रत करती है, वह बाबा के प्रसाद से ही यह व्रत खोलती हैं। मंदिर के पुजारी के घर की महिलाएं सबसे पहले राखी बांधकर व्रत खोलती है। यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है।

रात 2 बजे ही पहुंच जाते हैं मंदिर :
महाकाल को राखी बांधने के लिए पुजारी परिवार की महिलाएं देर रात 2 बजे ही मंदिर पहुंच जाती हैं। वे राखी बांधने तक मंत्रोच्चार करती हैं। राखी बांधने के बाद महाकाल से मिले प्रसाद से ये महिलाएं व्रत खोलती हैं। इसके बाद परिवार के भाइयों को राखी बांधी जाती है।

क्या करते हैं इस राखी का?
भगवान महाकाल को जो राखी चढ़ाई जाती है, उस राखी का विशेष ध्यान रखा जाता है। यह राखी जन्माष्टमी तक दर्शनार्थ रखी जाती है। कई श्रद्धालु इसका दर्शन करने आते हैं। अन्य मंदिरों में इसे प्रदर्शित किया जाता है।

सवा लाख लड्डुओं का लगेगा महाभोग :
श्री महाकालेश्वर मंदिर में 11 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के अवसर पर बाबा महाकाल को सवा लाख लड्डुओं का महाभोग लगेगा। वहीं, सुबह होने वाली भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल को सबसे पहले राखी बंधेगी। भस्म आरती के बाद से ही श्रद्धालुओं को महाभोग दर्शन और प्रसाद का वितरण शुरू हो जाएगा। श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन पर विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में पुजारी परिवार द्वारा बाबा महाकाल को सवा लाख लड्डुओं का महाभोग लगाया जाता है। यह परंपरा सालों से चली आ रही है। इसी क्रम में इस बार भी भस्म आरती करने वाले पुजारी परिवार द्वारा राजाधिराज महाकाल को सवा लाख लड्डुओं का भोग अर्पण किया जाएगा।

पं. महेश पुजारी ने बताया कि परंपरा से राजा महाकाल को श्रावण पूर्णिमा पर सबसे पहले राखी बांधी जाती है। भस्मारती के दौरान भगवान को राखी बांधने के पश्चात लड्डूओं का महाभोग लगेगा। लड्डू प्रसादी तैयार करने में पुजारी परिवार के साथ ही कई भक्तों द्वारा भी सामग्री दी जाती है, जिसे प्रसाद में शामिल किया जाता है। भस्म आरती के पश्चात सुबह दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया जाता है।

भाई से पहले भगवान को बांधें राखी :
ज्योतिषाचार्य पं चंदन श्यामनारायण व्यास ने बताया कि हिंदू धर्म में रक्षाबंधन का पावन पर्व भाई-बहन के अटूट रिश्ते और प्यार का प्रतीक माना जाता है। इस दिन बहनें अपने प्यारे भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र यानी राखी बांधती हैं और भाई अपनी बहन की जीवन भर रक्षा करने का वचन देते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल रक्षाबंधन 11 अगस्त को मनाया जाएगा। यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाते हैं। मान्यता है कि इस दिन सबसे पहले भगवान को राखी बांधी जाती है, जिसके बाद विधि विधान के साथ बहने अपने भाई को राखी बांधती हैं। हिंदू धर्म में इस दिन भगवान गणेश, भोलेनाथ, श्रीकृष्ण और राम भक्त हनुमान को राखी बांधने की परंपरा है। कई जगह लोग आसपास किसी मंदिर में जा कर भगवान को राखी बांधते हैं तो कई लोग घर में बने मंदिर में ही लड्डू गोपाल को रक्षा सूत्र बांधते हैं।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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