कुरुद। गुलशन कुमार। पराली या फसल अवशेषों को जलाने के बाद उत्पन्न होने वाली गर्मी मिट्टी में प्रवेश करती है जिसके परिणामस्वरूप नमी और उपयोगी रोगाणुओं का नुकसान होता है। पराली जलाना उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक है जो वायु की गुणवत्ता को खराब करता है।

पराली जलाने को विशेष रूप से दक्षिण एशिया में वायु प्रदूषण के प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक माना गया है। यह गैसीय प्रदूषकों जैसे कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ 2 ), कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ), नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओ एक्स ), सल्फर ऑक्साइड (एसओ एक्स ), और मीथेन (सीएच 4 ) के साथ-साथ कण पदार्थों का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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