छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद नक्सल आपेरशन में तेजी आई है। इस वर्ष मुठभेड़ में 100 से अधिक नक्सली मारे गए हैं। इससे घबराकर नक्सलियों ने अब निशर्त वार्ता का प्रस्ताव रखा है।

नक्सलियों के केंद्रीय प्रवक्ता की ओर से शुक्रवार को इस आशय का पत्र जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि सरकार की ओर से वार्ता के लिए उचित वातावरण बनाने की आवश्यकता है। खून-खराबा रोकने के लिए नक्सली वार्ता का प्रस्ताव स्वीकारते हैं।

बता दें कि इससे पहले नक्सलियों की दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी ने सशर्त वार्ता का प्रस्ताव रखा था, जिसमें सुरक्षा बलों को छह माह तक बैरकों में सीमित करने व नए कैंप खोलने पर रोक की शर्त रखी थी। नक्सलवाद प्रभावित बस्तर में सुरक्षा बल के आक्रामक अभियान के साथ ही प्रदेश सरकार ने नक्सल समस्या का हल वार्ता के माध्यम से निकालने का विकल्प दिया है। इसके बाद से नक्सल संगठन के भीतर छटपटाहट तेज होने की बात सामने आ रही है।

बताया जा रहा है कि कई बड़े नक्सली अब आत्मसमर्पण करने की तैयारी में है। इससे संगठन पर भी दबाव बनता दिखाई दे रहा है। दो दिन पहले बुधवार को राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा बस्तर पहुंचे थे और यहां से नक्सलियों को बड़ा संदेश देते हुए पुनर्वास नीति बनाने के लिए नक्सलियों से सुझाव मांगा था। इसके साथ ही उन्होंने नक्सलवाद की समस्या का समाधान बातचीत से निकालने की बात कहते हुए नक्सलियों को वार्ता के लिए सामने आने कहा था।

उधर, नक्सलरोधी अभियान के तहत जनवरी से लेकर अब तक 117 नक्सलियों को ढेर कर दिया गया है। इसमें 113 नक्सलियों के शव मिले हैं, जबकि चार अन्य नक्सली के मारे जाने की जानकारी के बारे में नक्सलियों के पत्र से पता चला है। नक्सलियों के पत्र में कहा गया है कि जनता के तमाम मुद्दों को लेकर ही नक्सलियों के प्रतिनिधि सरकार के साथ वार्ता करेंगे।

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा, नक्सली यदि जनकल्याण चाहते हैं तो उन्हें बंदूक छोड़ना होगा। राज्य सरकार वार्ता को लेकर गंभीर है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय वार्ता करना चाहते हैं पर नक्सली कहते हैं कि सड़कें न बनाएं, बिजली की व्यवस्था न करें। इस तरह की अघोषित शर्तों से वार्ता कैसी होगी। सरकार का लक्ष्य जन कल्याण है और उनका भी लक्ष्य अगर एक है तो रास्ता एक हो सकता है।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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