बलौदाबाजार। कुणाल सिंह ठाकुर। छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार के DFO मयंक अग्रवाल (Mayank Agrawal) पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ शिकायत हुई है. इस पर मुख्य वन संरक्षक ने संज्ञान लेते हुए शिकायतों की जांच की.

जांच के बाद मुख्य वन संरक्षक ने अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक को अपना जांच प्रतिवेदन के साथ डीएफओ मयंक अग्रवाल के खिलाफ आरोप पत्र प्रस्तुत किया है. बहरहाल आरोप पत्र में जिस तरह के आरोप लगाए गए हैं, उसमें डीएफओ मयंक अग्रवाल को उदण्डता, हठधर्मिता, अनुशासनहीनता, कर्तव्य के प्रति लापरवाही का द्योतक बताया है. इतना ही नहीं उन्होंने अपने स्पष्टीकरण में प्रशासकीय मर्यादाओं का भी उल्लंघन किया जाना कहा गया है. अब देखने वाली बात होगी कि वन विभाग के आला अधिकारी क्या कार्रवाई करते हैं ?

बता दें कि बेरोजगार इंजीनियर ऋषभ कुमार सोनी, राहुल कुमार और ग्राम देवरूम निवासी नानकेश्वर पटेल ने बलौदा बाजार के डीएफओ मयंक अग्रवाल की शिकायत की थी. शिकायत पर मुख्य वन संरक्षक ने डीएफओ मयंक अग्रवाल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रस्ताव अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक को भेजा है. जिसमें बिंदुवार जानकारी दी गई है. बताया गया है कि डीएफओ मयंक अग्रवाल कार्यों के गुणवत्ता के नाम पर हो रहे हैं कार्यों के अनुपातिक भुगतान, त्रुटि पूर्ण कार्यों में सुधार करवा कर उनके भुगतान के लिए आवश्यक पहल नहीं कर रहे हैं. वन विभाग में प्रति हस्ताक्षर प्रणाली लागू है. जिसमें साप्ताहिक भुगतान के निर्देश दिए जाते हैं. छत्तीसगढ़ फॉरेस्ट मैन्युअल 2020 में प्रकाशित है इसका बलौदा बाजार वनमण्डल के प्रत्येक स्तर पर निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है. मनमाने ढंग से वनरक्षक से वनमंडल स्तर तक कार्य कराकर देयक लंबित रखा जाता है. अधिकांश देयक वनमण्डल कार्यालय में रोके जाते हैं.

इतना ही नहीं मुख्य वन संरक्षक ने अपने प्रस्ताव में लिखा है कि वनमंडल कार्यालय बलौदा बाजार में 13 अप्रैल 2023 को ली गई रेंजर्स की बैठक में कैम्पा मद अंतर्गत स्वीकृत कार्यों की समीक्षा में भुगतान की स्थिति से अवगत नहीं कराया गया. शाखा प्रभारी को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि वनमंडल कार्यालय में लंबित देयकों की सूची 14 अप्रैल 2023 तक आवश्यक रूप से प्रेषित करें.

निर्देशों के पालन न किए जाने की स्थिति में लंबित समस्त कार्यों की सूची, देयक व माप पुस्तिका सहित 3 मई 2023 को DFO या SDO बलौदा बाजार को वृत्त कार्यालय में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए थे. इसके बावजूद भी वे उपस्थित नहीं हुए. प्रतिवेदन प्रेषित न कर वरिष्ठ अधिकारियों को भी गुमराह किया गया है. साथ ही 13 अप्रैल 2023 को हुई बैठक में प्रमाणक के संबंध में जानकारी चाहे जाने पर देवपुर रेंजर ने परिक्षेत्र सहायक के पास होना बताया, जबकि कसडोल SDO के जांच प्रतिवेदन से स्पष्ट है कि प्रमाणक उन्हीं के कार्यालय में लंबे समय से लंबित हैं. स्पष्ट निर्देश के बाद भी लंबित देयकों की सूची शाखा प्रभारी को प्रेषित करने के निर्देश का पालन नहीं किया गया.

इससे स्पष्ट होता है कि यह कृत्य बलौदा बाजार द्वारा पोषित है तथा उन्हें प्रकरण की गंभीरता व उनकी जिम्मेदारी का बोध नहीं है. इस प्रकार DFO बलौदाबाजार के गैर जिम्मेदाराना कृत्य, उदण्डता से वित्तीय अराजकता की स्थिति निर्मित हो रही है. यह भी लिखा गया है कि परिक्षेत्र अधिकारी को प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख ने DFO के प्रतिवेदन (मुख्य वन संरक्षक को प्रति भी नहीं दी गई) के आधार पर निलंबित किया गया. वनों में अवैध कटाई, अवैध उत्खनन, वन्यप्राणियों की हत्या, बांध के टूट जाने जैसे जघन्य/संगीन अपराध तो नहीं किया गया था. फिर प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख को ऐसी क्या तत्कालिकता (अर्जेन्सी) थी कि उसे मुख्य वन संरक्षक के सहमति/ज्ञान या स्पष्टीकरण प्राप्त किए बिना प्रशासनिक मर्यादाओं को नजरअंदाज कर निलंबित करना पड़ा?

प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (प्रशा. राज), अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (प्रशा. अराज), मुख्य कार्यपालन अधिकारी (कैम्पा), मुख्य वन संरक्षक के लगातार निर्देशों के बाद भी दोषी वनमण्डलाधिकारी, उप वनमण्डलाधिकारी, परिक्षेत्र सहायक व अन्य कर्मचारियों के विरूद्ध कार्रवाई का प्रस्ताव नहीं भेजा गया. DFO द्वारा दोषी मैदानी और अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ भेदभाव और पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाकर कार्रवाई की जा रही है. आरोप पत्र में लिखा गया है कि राम वन गमन पथ में तकनीकी स्वीकृति प्राप्त किए बिना ही किसी गैर विभागीय व्यक्ति से कार्य कराया जा रहा है. मुख्य वन संरक्षक द्वारा जानकारी मांगे जाने पर डीएफओ ने जानकारी न देकर अनर्गल पत्राचार किया.

इतना ही नहीं तकनीकी स्वीकृति प्राप्त किए बिना 0.6 -0.7 घनत्व युक्त वनक्षेत्र में औषधी वृक्षारोपण का कार्य कर शासकीय धन का अपव्यय किया गया है. जिसमें समानान्तर रूप से पूर्व वनमण्डल अधिकारी भी दोषी हैं. मुख्य वन संरक्षक शालिनी रैना ने औचक निरीक्षण में स्थल, प्रजाति चयन को उपयुक्त नहीं पाया. इस प्रकार के अनेकों प्रकरण लोक लेखा समिति के समक्ष विचाराधीन है. इसी तरह नियम विपरित कराए गए कार्य में जिम्मेदार वनाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई न कर कार्य करने वाले बेरोजगार इंजीनियर, स्थानीय जेसीबी आदि मशीन मालिकों को भुगतान न कर प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से सजा देकर हतोत्साहित किया जा रहा है. इतना ही नहीं एनटीसीए के निर्देशों का पालन नहीं किया. आरोप पत्र में लिखा गया है कि अधिकारी-कर्मचारी द्वारा वर्ष में किए गए कार्य का मूल्यांकन कर सक्षमता के अनुसार वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन पर टीप, स्वीकारोक्त्ति दी जाती है. चौहान वन क्षेत्रपाल के वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन में अधीनस्थ अधिकारी द्वारा अंकित श्रेणी में सुधार किया गया है. सीनियर का वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन जूनियर लिख रहे हैं.

आरोप पत्र में लिखा गया है कि डीएफओ ने वरिष्ठ अधिकारियों के जांच को कनिष्ठ वनक्षेत्रपाल द्वारा दोबारा जांच की गई. दोषी वनरक्षक द्वारा दोबारा जांच में अभिलेख तैयार किया गया. सह आरोपी द्वारा प्रस्तुतकर्ता के दायित्व का निर्वहन किया गया.”मुखिया” के नाम पर लाखों रुपए का भुगतान करना बताया गया. एक वाहन से कार्य कराया गया और कई लोगों को उसी वाहन से कराए कार्य का भुगतान किया गया है. ऐसे प्रकरण में DFO ने संलिप्त वनरक्षक को विवेकहीन, त्रुटिपूर्ण आदेश जारी कर दोषमुक्त किया गया और अनुशासित अधिकारी के अधिकारों का दुरूपयोग किया है जिसके संबंध में विस्तृत प्रतिवेदन प्रेषित किया गया है.

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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