रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। नगरीय निकाय चुनाव से पहले रायपुर नगर निगम के परिसीमन का काम शुरू हो गया है. इस परिसीमन कार्य में रायपुर के 70 वार्डों में जनसंख्या एक जैसा किया जाएगा. 2011 की जनसंख्या के अनुसार रायपुर के 1 वार्ड में लगभग 14 हजार की आबादी होनी चाहिए.
लेकिन रायपुर में अभी कई ऐसे वार्ड है, जहां पर आबादी कहीं कम है तो कहीं ज्यादा है. इसलिए सरकार की ओर से परिसीमन का काम 24 जून से शुरू कर दिया गया है. अब इस परिसीमन को लेकर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने नजर आ रहे है.2011 की जनगणना के अनुसार रायपुर की आबादी इस समय करीब 10.48 लाख है. इसी को आधार मानकर हर वार्ड में करीब 14 हजार की जनसंख्या के अनुपात में वार्डों का परिसीमन होगा. इससे कई वाडों के मतदाता इधर से उधर हो जाएंगे. इसे लेकर पार्षदों में अभी से खलबली शुरू हो गई है. नगर निगम रायपुर को परिसीमन का आदेश मिल चुका है. रायपुर में परिसीमन जल्द शुरू होगा, लेकिन इससे पहले राजनीतिक दल आमने-सामने नजर आ रहे हैं.
रायपुर में हुए MIC की बैठक में भी लगभग 2 घंटे तक परिसीमन को लेकर चर्चा की गई. इसके बाद महापौर एजाज ढेबर ने इस परिसीमन के कार्य को गैर उपयोगी बताया. महापौर एजाज ढेबर ने कहा कि 10 साल में परिसीमन होना चाहिए, जबकि निगम में वार्डों का परिसीमन पुरानी जनगणना के हिसाब से 4 साल पहले किया गया था. जनगणना अभी भी नहीं हुई है. फिर किस आधार पर शासन परिसीमन की बात कर रहा. उन्होंने कहा कि रायपुर नगर निगम के न तो वार्ड बढ़ रहे हैं और न ही इसे महानगरपालिका घोषित किया जा रहा है. अगर ये दो होते तो परिसीमन जायज रहता, लेकिन यहां ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है.
जहां की ओर से परिसीमन का काम शुरू कर दिया गया है, वहीं दूसरी ओर नगरी निकाय चुनाव की तैयार कर रही भाजपा पार्षद दल महापौर की तरफ से उठाए जा रहे सवाल को लेकर अक्रामक है. रायपुर नगर निगम की नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे का कहना है कि परिसीमन से महापौर को दिक्कत हो रही है?? कुछ वार्ड ऐसे हैं जहां पर जनसंख्या ज्यादा है और कहीं पर जनसंख्या कम है. महापौर का विरोध उन्हें संदेह के घेरे में खड़ा कर रहा है. आखिर वह परिसीमन से क्यों भाग रहे हैं. सवाल यह है कि क्या कुछ अनैतिक लोग हैं जो वार्ड में रह रहे जिन्हे नहीं रहना था.
योजनाओं के सही क्रियान्वन को लेकर सरकार की ओर से परिसीमन किया जा रहा है. वही कांग्रेस पार्षद दल का कहना है कि इसके ड्राफ्ट तैयार होने के बाद में हम इसकी उपयोगिता के बारे में समझेंगे. कुल मिलाकर नगरी निकाय चुनाव नजदीक है. ऐसे में गली मोहल्ले की राजनीति शुरू हो गई है.