गीदम। कुणाल सिंह ठाकुर। गणेश चतुर्थी पर्व पर बारसूर में स्थित छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी ऐतिहासिक युगल गणेश प्रतिमा वाले संरक्षित मंदिर में 11 दिनों का जलसा शुरू हो चुका है। 1600 साल पुराने मंदिर और प्रतिमा सरंक्षित है, लेकिन पुरात्व विभाग ने इसकी सुध नहीं ली है, इसलिए इसकी कमान स्थानीय युवाओं ने संभाल ली है। उनका कहना है कि पुरातत्व विभाग ने पर्व को देखते हुए भी यहां कोई संतोषजनक व्यवस्था नहीं की थी, जिसके कारण उन्होंने यहां की साज सज्जा व अन्य व्यवस्था की जिम्मेदारी उठाई है। बारसूर में छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी युगल गणेश प्रतिमा स्थापित है।

बलुआ पत्थर से निर्मित दक्षिणमुखी युगल गणेश जी को छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े गणेश का स्थान प्राप्त है। इन विशाल प्रतिमाओं से देश-विदेश में छत्तीसगढ़ का मान बढ़ा है। वर्ष भर श्रद्धालु बारसूर आते रहते हैं,लेकिन पर्यटकों के लिए परिसर में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। नगर के युवाओं द्वारा कई बार पुरातत्व विभाग एवं शासन-प्रशासन से तीन दिवसीय महोत्सव की मांग की गई, किन्तु निराशा ही हाथ लगी। स्थानीय युवा ग्राम के सहयोग से परिसर के बाहर साज-सज्जा, विद्युत, स्वागत द्वार पेयजल, पार्किंग की व्यवस्था करने लगे हैं। इससे बाहर से आने वाले पर्यटकों, श्रद्धालुओं को कुछ लाभ मिला है।

विधायक चैतराम अटामी ने कहा कि, पुरातत्व विभाग से पत्राचार कर युगल गणेश की प्रतिमाओं को संरक्षित करने को कहा जाएगा। पुरातत्व विभाग से संरक्षित होने के कारण इनमें शासन- प्रशासन कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।

गणेशोत्सव के अवसर पर पूरे ग्यारह दिनों तक विधि-विधान से गणेशजी की पूजा-अर्चना की जाएगी। युवा समिति के संरक्षक जगत पुजारी, रामलाल नेगी, भुवनेश्वर भारद्वाज, सुखराम नेगी एवं अन्य युवाओं ने बताया कि , नवमीं के दिन दंतेवाड़ा जिले के समस्त श्रद्धालुओं को आमंत्रित किया गया है। शिवानंद आश्रम गुमरगुण्डा, गायत्री परिवार, पतंजलि परिवार के माध्यम से जिले से श्रद्धालु महाआरती में सम्मिलित होंगे एवं प्रतिवर्ष आयोजन को और भव्य स्वरूप दिया जाएगा।

छिन्दक नागवंशी राजाओं द्वारा धर्म और तालाबों की नगरी बारसूर में आज से लगभग 1600 वर्ष पूर्व इन युगल गणेश प्रस्तर प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा की गई थी। दक्षिण दिशा से ही विपदाएं आती हैं, ऐसी मान्यता को ध्यान में रखकर राजा ने विशाल दक्षिणमुखी युगल गणेश जी की स्थापना करवाई। बड़ी प्रतिमा लगभग आठ फुट ऊंची एवं चार फुट चौड़ी है। इसी प्रकार छोटी प्रतिमा पांच फुट ऊंची व दो फुट चौड़ी है। एक ही विशाल बलुवा चट्टान से दोनों प्रतिमाओं का निर्माण किया गया है।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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