मुंबई। कुणाल सिंह ठाकुर। महाराष्ट्र में हिंदी विरोध को लेकर सियासत गरमाई गई है. इस मुद्दे पर राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ आए हैं और 5 जुलाई को दोनों सरकार के खिलाफ महामोर्चा निकालेंगे. इसमें शामिल होने के लिए कोंग्रेस और एनसीपी को भी न्योता दिया है. महाराष्ट्र में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे का साथ आने दृश्य मुंबई और महाराष्ट्र के लोगों को तकरीबन 18 साल बाद देखने को मिल रहा है. जब दादर के शिवाजी पार्क के एक फेमस फूड जॉइंट पर राज ठाकरे की पार्टी के नेता और उद्धव ठाकरे की पार्टी के नेता एक साथ एक टेबल पर बैठकर खाना खाते नजर आए थे.
साल 2006 को जब से राज ठाकरे ने अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाई तब से दोनों चचेरे भाइयों की दिशा, सिद्धांत और विचार सब अलग हो गए और दोनों पार्टियों के नेता भी सार्वजनिक रूप से कहीं मिलने से बचते रहे, लेकिन 2006 के बाद पहली बार मीडिया के सामने खुलकर दोनों पार्टियों के नेता संदीप देशपांडे और वरुण सरदेसाई सामने आए और एक मुद्दे पर एक विचार के साथ बैठकर चर्चा की. राज और उद्धव का कहना है कि बीजेपी सरकार महाराष्ट्र के लोगों पर हिंदी भाषा थोप रही है, जिससे मराठी भाषा का अस्तित्व खतरे में आ जायेगा. इससे मराठी बच्चे बचपन से हिंदी पर जोर देंगे मराठी पर नहीं.
पांच जुलाई को सरकार के खिलाफ निकालेंगे महामोर्चा :
इस मुद्दे पर राज ठाकरे ने कहा कि हम चुप नहीं बैठेंगे. मुख्यमंत्री को जाहिर करना चाहिए हमारे राज्य में हिंदी लागू नही होगी. उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री था तब मराठी भाषा सख्ती की थी. तब लोग कोर्ट में गए थे. हिंदी भाषा की सकती होगी नहीं, बीजेपी का छिपा हुआ एजेंडा है. मराठी भाषा के लोगों को इस लड़ाई में शामिल होने का आह्वान करता हूं. मराठी भाषा कलाकार इसमें शामिल होने चाहिए, भाजपा में के मराठी प्रेमी भी इस आंदोलन में शामिल होना चाहिए. वहीं, संजय राउत ने भी एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि 5 जुलाई को दोनों भाई साथ आ रहे हैं.
एमएनएस नेताओ ने मराठी अस्मिता के मुद्दे पर कांग्रेस,एनसीपी और अन्य पार्टियों से भी संपर्क करना शुरू कर दिया है, ताकि 5 जुलाई को बिना किसी बैनर के सिर्फ हिंदी हटाने के खिलाफ सभी विपक्ष लामबंद नजर आए. हालांकि शरद पवार का कहना है कि हिंदी की सख्ती नहीं होनी चाहिए, लेकिन 5 वी कक्षा के बाद हिंदी सीखना जरूरी है, क्योंकि हिंदी राष्ट्रभाषा है. वहीं कोंग्रेस ने भी राज्य सरकार पर मराठी भाषा का महत्व कम करने का आरोप लगाया है.
सरकार के आदेश से मचा बवाल :
वहीं, राज्य सरकार का साफ कहना है कि विपक्ष गलत प्रोपोगेंडा फैला रहा है, जबकि सरकार मराठी के साथ है. मराठी ही राज्य की प्रथम भाषा थी है और रहेगी. राज्य के सभी स्कूलों में मराठी भाषा को अनिवार्य किया गया है. केंद्र सरकार द्वारा मराठी को अभिजात (क्लासिकल) भाषा का दर्जा दिया गया है, जिससे इसका महत्व कभी भी कम नहीं होगा. अंग्रेज़ी को केवल द्वितीय भाषा के रूप में स्वीकार किया गया है, लेकिन मराठी सभी माध्यमों के स्कूलों में अनिवार्य रूप से पढ़ाई जाएगी.
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत राज्य सरकारों को अपने स्तर पर निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी गई है. नीति के अनुसार, 2 से 8 वर्ष की उम्र के बच्चों को भाषा जल्दी समझ आती है, इसलिए केंद्र सरकार ने मातृभाषा को प्राथमिकता देने की सिफारिश की है. अगर कोई छात्र तीसरी भाषा सीखना चाहता है, तो सरकार की ओर से शिक्षक उपलब्ध कराए जाएंगे.
जानें क्या कहते हैं आकंड़े :
कुल 1,60,057 स्कूल हैं.
लगभग 2 करोड़ 66 लाख छात्र हैं.
लाखों शिक्षक सेवा में हैं.
अंग्रेजी माध्यम: 15,000 स्कूलों में करीब 66 लाख छात्र पढ़ते हैं.
हिंदी माध्यम: 5,096 स्कूल
उर्दू शिक्षक: लगभग 37,000 उपलब्ध हैं.