इंटरनेशनल। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच एक बड़ा खुलासा किया गया है। यह खुलासा किसी और को लेकर नहीं है बल्कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को लेकर किया गया है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पुतिन यूक्रेन से असली जंग हार चुके हैं। रशियन इंडिपेंडेंट न्यूज ऑउटलेट मेडुजा ने खेरसॉन का जिक्र करते हुए कहा है कि यहां से रूसी सैनिकों के पीछे हटने के क्या मायने हो सकते हैं। मेडुजा ने यूक्रेन में रूस के खिलाफ हाल की घटनाओं को बहुत दर्दनाक बताया है।

मेडुजा की रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस असली युद्ध हार चुका है। यहां के लोगों ने भी अब यह सोचना शुरू कर दिया है। लोगों के जेहन में तमाम सारी बातें कौंधने लगी हैं। वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों में युद्ध न जीत पाने का सेंटिमेंट्स भी है। कुछ लोग युद्ध को रोकने की भी बात कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि अब स्थिति को कंट्रोल में लाया जाए।

खेरसॉन गंवाने के बाद भी पुतिन आशावादी :
रिपोर्ट में आगे यह भी बताया गया है कि खेरसॉन गंवाने के बाद भी व्लादिमीर पुतिन आशावादी बने हुए हैं क्योंकि वह यूक्रेन की राजनीति में बदलाव की बाट देख रहे हैं। उन्हें लगता है कि यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की इस्तीफा दे देंगे और इसके बाद जंग जीतने का रास्ता रूस के लिए खुल जाएगा। हालांकि, इस उम्मीद के पीछे कोई तर्क नहीं था।

रूसी सेना अब पूरी तरह से टूट चुकी है :
अंडरस्टैंडिंग अर्बन वारफेयर के लेखक जॉन स्पेंसर ने न्यूजवीक को बताया कि रूस की सेना अब पूरी तरह से टूट चुकी है। उन्होंने कहा कि सेना में नई भर्ती करने से कुछ नहीं होने वाला है। जंग के मैदान में सैनिकों को लड़ने के लिए अत्याधुनिक हथियार और अन्य सैन्य साजो-सामान की आवश्यकता होती है। इससे साथ-साथ एक लंबे समय तक प्रभावी नेतृत्व की भी। मगर इतने दिनों के युद्ध के दौरान रूस के पास हथियारों की कमी हो गई है।

9 महीने से अधिक समय से जारी है जंग :
वहीं यूक्रेन को लगातार दूसरे देशों का साथ मिल रहा है और यही वजह है कि वह युद्ध में अभी भी डटा हुआ है और हार नहीं मानी है। हालांकि, यह बात तो रिपोर्ट की हो गई है। पर असल मायनों में इस युद्ध में फिलहाल न तो पुतिन की हार हुई है और जेलेंस्की की जीत। ऐसे में दोनों देशों के बीच यह जंग कब तक जारी रहेगी, यह कहना मुश्किल है। रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी को युद्ध शुरू हुआ था और तब से यह जारी है।

By Kunaal Singh Thakur

KUNAL SINGH THAKUR HEAD (प्रधान संपादक)

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