नई दिल्ली/रायपुर। काबुल में एक गुरुद्वारे पर हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने अफगानिस्तान में रह रहे 100 से अधिक सिखों और हिंदुओं को ई-वीजा दिया है। सरकारी सूत्रों ने रविवार को बताया कि गृह मंत्रालय ने इन लोगों को इलेक्ट्रॉनिक वीजा प्राथमिकता के आधार पर दिया है। आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने अफगानिस्तान की राजधानी में गुरुद्वारे पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली है। इस हमले में सिख समुदाय के एक सदस्य सहित दो लोगों की मौत हो गई थी। एक सूत्र ने कहा, काबुल में गुरुद्वारे पर हमले के बाद भारत ने 100 से अधिक अफगान सिखों और हिंदुओं को प्राथमिकता के आधार पर ई-वीजा दिया है। पिछले साल अगस्त में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से, अफगानिस्तान में प्रतिद्वंद्वी सुन्नी मुस्लिम आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट द्वारा लगातार हमले किए जा रहे हैं। 2020 के हमले के समय अफगानिस्तान में 700 से कम सिख और हिंदू थे। तब से, दर्जनों परिवार अन्यत्र चले गए हैं, लेकिन कई आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण दूसरे देश नहीं जा पाए हैं और वे अफगानिस्तान में ही, मुख्यतः काबुल, जलालाबाद और गजनी में रह रहे हैं। सिख समुदाय के नेताओं का अनुमान है कि तालिबान शासित अफगानिस्तान में सिर्फ 140 सिख बचे हैं, जिनमें से ज्यादातर पूर्वी शहर जलालाबाद और राजधानी काबुल में हैं। तालिबान के सत्ता में आने के बाद से देश में प्रतिद्वंद्वी सुन्नी मुस्लिम आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट के हमले लगातार जारी हैं। शनिवार की घटना अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के पूजा स्थल पर नवीनतम लक्षित हमला है।
इस्लामिक स्टेट ने काबुल में गुरुद्वारे पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली :
अफगानिस्तान में शनिवार को एक गुरुद्वारे पर हुए हमले की जिम्मेदारी आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट ने ली है और इसे पैगंबर के ‘समर्थन में किया गया कार्य’ बताया है। इस हमले में सिख समुदाय के एक सदस्य समेत दो लोगों की मौत हो गई थी।
इस्लामिक स्टेट आईएसकेपी ने कहा, अल्लाह के दूत का अपमान पर हमला :
आतंकी समूह की वेबसाइट अमाक पर पोस्ट किए गए बयान में इस्लामिक स्टेट से संबंद्ध इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रोविंस (आईएसकेपी) ने कहा कि शनिवार को किया गया हमला हिंदुओं, सिखों और उन धर्मभ्रष्ट लोगों के खिलाफ है, जिन्होंने अल्लाह के दूत का अपमान करने में साथ दिया। आतंकी समूह ने कहा कि उसका एक लड़ाका सुरक्षा गार्ड की हत्या करने के बाद हिंदुओं और सिखों के ‘मंदिर में घुसा और अंदर मौजूद श्रद्धालुओं पर अपनी मशीनगन से गोलीबारी की और हथगोले फेंके।

विस्फोटक लदे ट्रक को गुरुद्वारा में घुसने से रोक कर किया बड़ा हमला नाकाम :
बता दें कि शनिवार सुबह काबुल के बाग-ए-बाला क्षेत्र में कार्ते परवान गुरुद्वारे पर हमला हुआ। हालांकि, अफगान सुरक्षा कर्मियों ने विस्फोटक लदे एक ट्रक को गुरुद्वारा परिसर में घुसने से रोक कर एक बड़े हमले को नाकाम कर दिया। अफगानिस्तान में गुरुद्वारे पर यह एक और लक्षित हमला था। वहीं, तालिबान के सुरक्षा बलों ने तीन हमलावरों को मार गिराया।
पैगंबर पर की गई टिप्पणी का बदला लेने के लिए चेतावनी दी थी :
आईएसकेपी ने एक वीडियो संदेश में भाजपा के दो पूर्व पदाधिकारियों की ओर से पैगंबर पर की गई टिप्पणी का बदला लेने के लिए हिंदुओं पर हमला करने की चेतावनी दी थी। इसके कुछ दिनों बाद गुरुद्वारे पर यह हमला हुआ है। अतीत में भी, आईएसकेपी ने अफगानिस्तान में हिंदुओं, सिखों और शिया समुदाय के धार्मिक स्थलों पर हुए हमलों की जिम्मेदारी ली थी।
मार्च 2020 में काबुल में गुरुद्वारे पर हुए आत्मघाती हमले में 25 श्रद्धालु मारे गए थे :
मार्च 2020 में काबुल में एक गुरुद्वारे पर हुए आत्मघाती हमले में कम से कम 25 श्रद्धालु मारे गए थे और आठ अन्य घायल हुए थे। यह हमला अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक सिख समुदाय पर हुए सबसे घातक हमलों में से एक था। शोर बाजार इलाके में हुए इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने ली थी।
अफगानिस्तान में कभी हजारों सिख और हिंदू रहते थे, लेकिन …
अफगानिस्तान में कभी हजारों सिख और हिंदू रहते थे, लेकिन अब उनकी संख्या बहुत कम रह गई है। मार्च 2020 में, काबुल में स्थित एक प्रतिष्ठित गुरुद्वारे पर आत्मघाती हमलावर ने हमला कर दिया था, जिमसें 25 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी और आठ जख्मी हो गए थे। यह युद्धग्रस्त देश में सिख समुदाय पर सबसे घात हमलों में से एक था।
जलालाबाद हमले के वक्त 1500 सिख थे, अब करीब 150 सिख :
2018 में, एक आत्मघाती हमलावर ने पूर्वी शहर जलालाबाद में एक सभा पर हमला किया था, जबकि 2020 में एक अन्य गुरुद्वारे पर हमला किया गया। जलालाबाद में हुए हमले के वक्त करीब 1500 सिख थे। उसके बाद 2020 में हमले के बाद और अधिक लोग चले गए और पिछले साल तालिबान के सत्ता में आने तक 300 से भी कम सिख बचे थे और अब करीब 150 सिख हैं। सभी ऐतिहासिक गुरुद्वारे पहले ही नष्ट हो चुके हैं, और अब केवल एक ही बचा है, उसपर भी हमला हुआ। पिछले साल अगस्त में तालिबान के काबुल की सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट लगातार हमले कर रहा है।