नई दिल्ली/रायपुर। कुणाल सिंह ठाकुर। ईरान और इजराइल वॉर अपने चरम पर है. जहां ईरान अपनी ताकत दिखाने और धमकी देने से बाज नहीं आ रहा है. वहीं दूसरी ओर इजराइल भी ईरान को पूरी तरह से नेस्तानाबूत करने की जिद पर अड़ा है. जिसके लिए उसने बीते कुछ दिनों में अरबों डॉलर फूंक दिए हैं. इसी बीच दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में शुमार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन का बयान सामने आ गया है. पुतिन ने दुनिया के 20 देशों को हिदायत दे दी है. साथ ही कहा है कि कोई एक्शन लेने की जरुरत नहीं है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर पुतिन ने कौन से 20 देशों को हिदायत दी है और अपनी हिदायत में उन्होंने क्या कहा है? आपको बता दें कि रूस खुद यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझा हुआ है. ऐसे रूसी राष्ट्रपति का बयान काफी अहम माना जा रहा है.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को सेंट पीटर्सबर्ग इकोनॉमिक फोरम को कहा है कि ईरान और इज़राइल के बीच संघर्ष के कारण तेल की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है, और तेल उत्पादकों के ओपेक+ ग्रुप को तेल बाजारों में हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है. जी हां, इस ओपेक प्लस देशों में कुल 22 देश हैं. जिसमें ईरान भी शामिल हैं. ईरान इस समय युद्ध में उलझा हुआ है. ऐसे में रूस का अपने बाकी 20 ओपेक देशों को ये हिदायत देना काफी कम हैं. इन 20 देशों में अल्जीरिया, कांगो, इक्वेटोरियल गिनी, गैबॉन, इराक, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, सऊदी अरब, यूएई, वेनेजुएला, अजरबैजान, बहरीन, ब्रुनेई, कजाकिस्तान, मलेशिया, मैक्सिको, ओमान, दक्षिण सूडान और सूडान शामिल हैं.
इजराइल और ईरान के बीच एक हफ्ते से चल रहे हवाई युद्ध के बढ़ने और संभावित अमेरिकी भागीदारी के बारे में अनिश्चितता के कारण निवेशकों में बेचैनी बनी हुई है, जिससे तेल की कीमतों में उछाल आया है, ब्रेंट क्रूड वायदा जनवरी के अंत से अपने हाईएस्ट लेवल पर पहुंच गया है. पुतिन ने कहा कि तेल की कीमत अब लगभग 75 डॉलर प्रति बैरल है, जबकि संघर्ष बढ़ने से पहले यह 65 डॉलर प्रति बैरल थी. उन्होंने कहा कि मिडिल ईस्ट की मौजूदा स्थिति और ईरान और इजराइल के संघर्ष के बीच कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा देखने को मिला है. उन्होंने कहा कि हमारे विशेषज्ञों की राय में यह वृद्धि महत्वपूर्ण नहीं है. ईरान पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन के सदस्यों में तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. शत्रुता से इसकी तेल आपूर्ति बाधित हो सकती है और इससे कीमतें बढ़ सकती हैं.
पुतिन ने यह भी कहा कि ओपेक प्लस जो दुनिया के लगभग आधे तेल का उत्पादन करता है – तेल उत्पादन बढ़ा रहा है, लेकिन ऐसा धीरे-धीरे कर रहा है, ताकि तेल बाजार में संतुलन और “आरामदायक” कीमतें सुनिश्चित हो सकें. उन्होंने कहा, “हम सब मिलकर देखेंगे कि स्थिति कैसे सामने आती है. अभी तक तत्काल किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देने की जरुरत नहीं है. कुछ दिन पहले इराक के डिप्टी पीएम ने एक बयान में कहा था कि अगर ईरान और इजराइल के बीच युद्ध लंबा चला तो कच्चे तेल की कीमतें 200 से 300 डॉलर हो सकती है. अगर ऐसा हुआ तो पूरी दुनिया में महंगाई का जबरदस्त विस्फोट देखने को मिल सकता है. ग्लोबल इंफ्लेशन 16 से 20 फीसदी के बीच देखने को मिल सकता है. जिसे संभालना दुनिया के किसी भी ताकतवर देश के लिए काफी मुश्किल होगा.